"सत्येन्द्रनाथ बोस": अवतरणों में अंतर
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उन्होंने एक लेख लिखा- "प्लांक्स लॉ एण्ड लाइट क्वांटम" इसे भारत में किसी पत्रिका ने नहीं छापा तो सत्येन्द्रनाथ ने उसे सीधे आइंस्टीन को भेज दिया। उन्होंने इसका अनुवाद जर्मन में स्वयं किया और प्रकाशित करा दिया। इससे सत्येन्द्रनाथ को बहुत प्रसिद्धि मिली। उन्होंने यूरोप यात्रा के दौरान आइंस्टीन से मुलाकात भी की थी। सन् १९२६ में सत्येन्द्रनाथ बोस भारत लौटे और [[ढाका विश्वविद्यालय]] में १९५० तक काम किया। फिर [[शांतिनिकेतन]] में [[विश्व भारती विश्वविद्यालय]] के कुलपति बने। उनका निधन ४ फ़रवरी १९७४ को हुआ। अपने वैज्ञानिक योगदान के लिए वह सदा याद किए जाएँगे।
[[चित्र:Bose letter.jpg|right|thumb|350px|बोस का पत्र, आइन्स्टीन के नाम]]
== सन्दर्भ ==
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