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यह एक आदर्शवादी निगमनात्मक सिद्धांत है। जिसमें सकल साधारणीकरण की प्रक्रिया से औद्योगिक अवस्थितिकी तथा अनुकूलतम अवस्थिती के आधार पर अधिकतम लाभ प्राप्ति को परिकल्पित किया गया हैहै। ।19091909 में यह है दक्षिण जर्मनी के औद्योगिक केंद्रों की अवस्थिति की के अध्ययन पर आधारित सिद्धांत है जो स्थानिक विश्लेषण एवं तंत्र उपागम का एक अनुपम उदाहरण है
इस मॉडल का उद्देश्य ज्यामितीय विश्लेषण है जिसके आधार पर अधिकतम लाभ न्यूनतम दूरी तथा न्यूनतम लागत की प्राप्ति की जा सके।
 
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1. एक समान भूदृश्य
2.प्रत्येक मानव आर्थिक एवं विवेकशील मानव है।
3.भू-दृश्य पर एक राजनीतिक तंत्र, नीतियां , एक्सटर्नल डिस्टरबेंस का अभाव तथा आंतरिक व्यापार, बंद आर्थिक तंत्र, प्रधान होते हैंहैं।
4.भू दृश्य केंद्र में बाजार है जहां सभी औद्योगिक उत्पादों का विपणन होता है।
A.आर्थिक आधार