"आचार्य आनन्दवर्धन": अवतरणों में अंतर

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'''आचार्य आनन्दवर्धन''', [[काव्यशास्त्र]] में ध्वनि सम्प्रदाय के प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध हैं। काव्यशास्त्र के ऐतिहासिक पटल पर आचार्य [[रुद्रट]] के बाद आचार्य आनन्दवर्धन आते हैं और इनका ग्रंथ ‘[[ध्वन्यालोक]]’ काव्य शास्त्र के इतिहास में मील का पत्थर है।
 
आचार्य आनन्दवर्धन [[कश्मीर]] के निवासी थे और ये तत्कालीन कश्मीर नरेश [[अवन्तिवर्मन]] के समकालीन थे। इस सम्बंध में महाकवि [[कल्हण]] ‘[[राजतरंगिणी|राजतरङ्गिणीराजतरंगिणी]]’ में लिखते हैं:
 
:'''मुक्ताकणः शिवस्वामी कविरानन्दवर्धनः। '''