"ओड़िया साहित्य": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार।
पंक्ति 6:
 
*(२) मध्ययुग (1550-1850),
:* (क) पूर्व मध्ययुग -- ''भक्तियुग या धार्मिक युग या पञ्चसखापंचसखा युग'',
:* (ख) ''उत्तर मध्ययुग, रीति युग या उपेंद्रभंज युग'',
 
पंक्ति 22:
 
=== पूर्वमध्ययुग ===
इस युग में में पंचसखाओं के साहित्य की प्रधानता है। ये पंचसखा हैं - [[बलरामदास]], [[जगन्नाथदास]], [[यशोवन्तदास]], [[अनन्तदास]] और [[अच्युतानन्ददास]]। चैतन्यदास के साथ सख्य स्थापित करने के कारण ये 'पञ्चसखापंचसखा' कहलाए। वे 'पञ्चपंच शाखा' भी कहलाते हैं। इनके उपास्य देवता थे [[जगन्नाथ पुरी|पुरी]] के [[भगवान जगन्नाथ|जगन्नाथ]], जिनकी उपासना शून्य और [[कृष्ण]] के रूप में ज्ञानमिश्रा योग-योगप्रधान भक्ति तथा कायसाधना द्वारा की गई। पंचसखाओं में से प्रत्येक ने अनेक ग्रंथ लिखे, जिनमें से कुछ तो मुद्रित हैं, कुछ अमुद्रित और कुछ अप्राप्य भी।
 
16वीं शताब्दी के प्रथमार्ध में [[दिवाकरदास]] ने "जगन्नाथचरितमृत" के नाम से पंचसखाओं के जगन्नाथदास की जीवनी लिखी तथा ईश्वरदास ने चैतन्यभागवत लिखा। सालवेग नामक एक मुसलमान भक्तकवि के भी भक्तिरसात्मक अनेक पद प्राप्त हैं।