"कर्ष": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छो बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार।
पंक्ति 2:
'''कर्ष''' या '''कार्षापण''' एक प्राचीन भारतीय सिक्का था।
 
[[जातक]], [[पाणिनि]] के व्याकरण, तथा [[चाणक्य]] के अर्थशास्त्र में [[रजत]] और [[ताम्र]] के सिक्कों को कार्षार्पण कहा गया है। मनु तथा याज्ञवल्क्य के अनुसार ताम्र कार्षापण ८० गुञ्जेगुंजे या रत्ती के बराबर भार वाला होता था। <ref>[https://books.google.co.in/books?id=T85aSmU7BGoC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false नन्द-मौर्ययुगीन भारत (पृष्ट ३१८)] (गूगल पुस्तक ; लेखक के ए नीलकण्ठ शास्त्री)</ref><ref>[https://books.google.co.in/books?id=SUcZlfEpFnQC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false प्राचीन भारतीय मुद्राएँ (पृष्ट २३)] (गूगल पुस्तक ; लेखक - राजवन्त राव , प्रदीप कुमार राव)</ref>
 
==सन्दर्भ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कर्ष" से प्राप्त