"कोश": अवतरणों में अंतर
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'''कोश''' एक ऐसा शब्द है जिसका व्यवहार अनेक क्षेत्रों में होता है और प्रत्येक क्षेत्र में उसका अपना अर्थ और भाव है। यों इस शब्द का व्यापक प्रचार
== भारतीय कोश ==
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इन चारों कोशों को उन्होंने अपने व्याकरण के परिशिष्ट के रूप में दिया है।
दसवीं और तेरहवीं शती के बीच किसी समय [[पुरुषोत्तमदेव]] ने अमरकोश के परिशिष्ट के रूप में [[त्रिकांडशेष]] नामक कोश प्रस्तुत किया। इसमें बौद्ध संस्कृत
1200 ई. के आसपास [[केशस्वामी]] ने ‘[[नानार्थार्णवसंक्षेप]]’ नामक कोश की रचना की उसमें शब्द अक्षर क्रम और लिंग अनुग्रम से संकलित है। चौदहवीं शती में [[मेदिनीकर]] ने '''मेदिनी''' नामक नानार्थ शब्दकोश तैयार किया था जिसकी काफी ख्याति है।
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