"गोपीनाथ कविराज": अवतरणों में अंतर

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उन्नीसवीं शती के धार्मिक पुनर्जागरण और बीसवीं शती के स्वातन्त्र्य-आन्दोलन से अनुप्राणित उनकी जीवन-गाथा में युगचेतना साकार हो उठी है। प्राचीनता के सम्पोषक एवं नवीनता के पुरस्कर्ता के रूप में कविराज महोदय का विराट् व्यक्तित्व संधिकाल की उन सम्पूर्ण विशेषताओं से समन्वित है, जिनसे जातीय-जीवन प्रगति-पथ पर अग्रसर होने का सम्बल प्राप्त करता रहा है।
 
इनके द्वारा रचित एक [[शोध]] [[तांत्रिक वाङ्मयवांमय में शाक्त दृष्टि ]] के लिये उन्हें सन् १९६४ में [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] ([[साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत|संस्कृत]]) से सम्मानित किया गया।<ref name="academy">{{cite web | url=http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp#hindi | title=अकादेमी पुरस्कार | publisher=साहित्य अकादमी | accessdate=4 सितंबर 2016}}</ref>
 
== ग्रन्थ ==
* श्री श्री विशुद्धानन्द प्रसङ्गप्रसंग
* तान्त्रिक साधना
* भारतीय साधना धारा
* श्री कृष्ण प्रसङ्गप्रसंग
* मृत्युविज्ञान ओ कर्मरहस्य
* त्रिपुररहस्यम्