"चीनी लिपि": अवतरणों में अंतर

ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: करें. → करें। (2), मे → में , → (2)
छो बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार।
पंक्ति 19:
भावों को व्यक्त करने की सामथ्र्य, प्रवाहशीलता, व्याकरणपद्धति और शब्दकोश की दृष्टि से चीनी भाषा संसार की समृद्ध भाषाओं में गिनी जाती है। लेकिन कंपोजिंग, टाइपिंग, तार भेजना, समाचारपत्रों को रिपोर्ट भेजना, कोशनिर्माण और प्रौढ़-शिक्षा-प्रचार आदि की दृष्टि से यह काफी क्लिष्ट है, इसलिये प्राचीन काल से ही इस भाषा के संबंध में संशोधन परिवर्तन होते रहे हैं।
 
ईसवी सन् की दूसरी शताब्दी के बाद चीन में भारतीय बौद्ध साहित्य का प्रवेश होने पर चीनी भाषा के वर्णोच्चारण के प्रामाणिक ज्ञान की आवश्यकता प्रतीत हुई। लेकिन बौद्ध धर्म संबंधी हजारों पारिभाषिक शब्दों का चीनी में अनुवाद करना संभव न था। अतएव इन शब्दों को चीनी चीनी में अक्षरांतरित किया जाने लगा। जैसे, बोधिसत्व को फूसा, अमिताभ को अमि तो फो, शाक्यमुनि को शिह जा मोनि, स्तूप को था, गंगा को हंङ्हंं ह और जैन को चा एन लिखा जाने लगा।
 
चीनी को [[रोमन लिपि]] में लिखने के प्रयास का इतिहास भी काफी पुराना है। इसके अतिरिक्त पिछले 60 वर्षो से इस लिपि को ध्वन्यात्मक रूप देने के प्रयत्न भी होते रहे हैं। सन् 1911 में पीकिंग बोली के उच्चरण की आदर्श मानकर इस प्रकार का प्रयत्न किया गया। सन् 1919 में 4 मई के साहित्यिक आंदोलन के पश्चात् दुरूह क्लासिकल भाषा (वन्येन) की जगह बोलचाल की भाषा (पाय् ह्वा) को प्रधानता दी जाने लगी।