"जैमिनि": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
जैमिनी [[वेदव्यास]] के शिष्य थे। [[महाभारत]] में लिखा है कि [[वेद]] का चार भागों में विस्तार करने के कारण 'वेदव्यास' (विस्तार) नाम पड़ा। इन्होंने जैमिनि को [[सामवेद]] की शिक्षा दी तथा महाभारत भी पढ़ाया-
: ''वेदानुध्यापयोमास महाभारतपञ्चनाम्।महाभारतपंचनाम्। सुमंतु जैमिनि पैल शुकं चैव स्वमात्मजम् ॥''(महाभारत आदिपर्व 63189; महाधर -यजुर्वेदभाष्य, वाजसनेयि संहिता, आदि भाग)
 
इन्हीं व्यास ने [[ब्रह्मसूत्र]] की, उपनिषदों के आधार पर, रचना की। इसी को "भिक्षुसूत्र" भी कहते हैं जिसका उल्लेख [[पाणिनि]] ने [[अष्टाध्यायी]] में किया है।