"तोमर गोत्र (जाट)": अवतरणों में अंतर
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तोमर गोत्र का परिचय
तोमर ,तंवर,शिरा तंवर ,तुर ,सुलखलान ,सुलख,चाबुक,भिण्ड तोमर ,पांडव,जाखौदिया,कुंतल एक ही जाट गोत्र है जिसकी 10 उप गोत्र शाखाएं है| तोमर गोत्र जाटों में जनसंख्या के अनुसार बड़े गोत्रो में से एक
तोमर जाट गोत्र की उप गोत्र शाखाएं है
1.कुंतल/(खुटेल), 2.पांडव, 3.सलकलायन, 4.चाबुक, 5.तंवर, 6.भिण्ड तोमर (भिंडा), 7.जाखौदिया, 8.सुलख, 9.देशवाले, 10.शिरा तंवर 11. मोटा,12.कपेड या कपेड़ा उप गोत्र शाखाएं है, लेकिन गोत्र
उत्पत्ति
तोमर गोत्र (कुंतल/(खुटेल), पांडव, सलकलायन,तंवर, भिण्ड तोमर (भिंडा), [ सुलख , शिरा तंवर ) की उत्पत्ति पांड्वो से है इस कारण तोमर गोत्र पाण्डुवन्शी ,कुंतलवंशी (कुंती के) भी कहलाते है तोमर जाट अर्जुन के वंशज है उनकी कुल देवी मनसा देवी (योगमाया कृष्ण की बहिन) और शाकुम्भरी देवी
तोमर एक संस्कृत शब्द है जिस मतलब भाला या लोहदंड है| तोमर जो कि माँ दुर्गा का एक हथियार है तोमर हथियार का वर्णन दुर्गा कवच पथ में दुर्गा माँ के हथियार के रूप उल्लेख कियागया है यह हथियार अर्जुन को महाभारत युद्ध में माँ से मिला था तोमर एक हथियार है जो अर्जुन द्वारा महाभारत युद्ध में इस्तेमाल किया गया था जो यह इंगित करता है कि तोमर महाभारत अवधि मे तोमर हथियार के साथ विशेषज्ञ योद्धा थे|. कुंतल जाट खाप मथुरा और भरतपुर में पाया जाता है तोमर जाट कुंती और पांडु के वंशज हैं, तो उन्हें कुंतल बुलाया . 36 राजवंशों के गिनाये हुए नामों के अधिकांश राजवंश जाटों में भी पाये जाते हैं। कर्नल टॉड ने तो पूरी जाट जाति को 36 राजवंशों में से एक राजवंश माना है|। कर्नल टाड ने इसी बात को इस भांति लिखा है-
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भिंडा-तोमर जाट जो भिण्ड शहर से फैल उन्हें भिण्ड तोमर बुलाया तोमर जाट गोत्र की उप गोत्र भिंडा (भिण्ड तोमर) है.भिण्ड मध्य परदेश में एक जिला है
तूर (तुअर) जाट गोत्र हिन्दी में तोमर और पंजाबी और देसी बोली में Taur (तुअर जट) कहा जाता है
जाखौदिया तंवर- जाखौदिया गोत्र नहीं होता है इनका गोत्र तोमर है तोमर(तंवर ) जाट 1857 के आसपास जब दिल्ली के जाखौद गॉव से आकर भरतपुर के छोंकरवाड़ा गाव में बसे तो यह के स्थानीय निवासयो ने इनको इनके पैतृक गाँव जाखौद के नाम पर जखोदिया कहना शुरू कर दिया . पुरे भारतवर्ष में यह एक मात्र गाँव है जाखौदिया तंवर जाटों का और किस जगह पर यदि कोई जाखौदिया तोमर निवास करते है तो वो मूल रूप से छोंकरवाड़ा से गए हुए
सलकरान शाखा - सलअक्शपाल सलकपाल तोमर द्वारा उत्पन्न किया गया था. जब दिल्ली के अंतिम तोमर राजा अनंगपाल ने अपने राज्यों को खो दिया तो सलअक्शपाल तोमर फिर से अपने परिवार के 84 गांवों के 84 तोमर देश खाप की स्थापना की, राजा सलअक्शपाल तोमर की समाधि स्थल बदोत नई ब्लॉक कृषि प्रसार विभाग से सटे दिल्ली सहारनपुर रोड पर है.
सुलख - सुलख तोमरो को रोहतक , भिवानी जिले में कहते है इनको वह पर सुलखलान भी कहते है.
चाबुक- तोमर जाटो ने चाबुक से ब्राह्मण को पीटा था इसलिए इन लोग को चाबुक के रूप में जाने जाते है.
देशवाले -तोमर लोग एक समय देश क्षेत्र के मालिक (राजा) थे इस कारण तोमर जाटो को देशवाले के रूप में जाना जाता है.
कपेड - कपेड या कपेड़ा गोत्र नहीं इनको एक मोहल्ले के नाम पर मिला
मोटा - मोटा गोत्र नहीं है यह सिर्फ एक नाम
पार्थ- अर्जुन का ही दूसरा नाम है भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को पार्थ ही सम्बोदन दिया
शीरा (शिरे)तंवर - यह तंवर जाटो की ही एक शाखा है पेहोवा के इतिहास के अनुसार यहाँ पर जाटों का शासन रहा है। पेहोवा शिलालेख में एक तोमर राजा जौला और उसके बाद के परिवार का उल्लेख है। महिपाल तोमर का भी पेहोवा पर शासन रहा है थानेसर जो की हिन्दू के लिए उतना ही पवित्र था जितना मुस्लिमो के लिए मक्का, थानेसर अपनी दोलत के लिए और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध
गरचा जट तोमर जाटो की एक उप गोत्र शाखा
महाभारत में तोमर जाट कुल का उल्लेख है :-
वायु पुराण के अनुसार नलिनी नदी मध्य एशिया के बिन्दसरा से निकल कर तोमर और हंस लोगो की भूमि से प्रवाहित होती है[2]
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तोमर जाट और राजपूत: कुछ इतिहास कार चाहड़पाल तोमर को अनंगपाल तृतीय (अक्रपाल) (दत्तपाल) नाम से भी पुकारते हैं. दिल्ली के अंतिम तोमर राजा अनंगपाल थे। इनसे 20 पीढ़ी पहले भी एक अनंगपाल तोमर राजा हुए थे। लेकिन बाद वाले इस 20वें अनंगपाल राजा का 1164 ई० में दिल्ली पर राज था। इनको कोई पुत्र न होने के कारण इन्होंने अपनी पुत्री के पुत्र (दयोहते) पृथ्वीराज को अपनी सुविधा के लिए अपने पास रख लिया और एक दिन गंगास्नान के लिए चले गए। जब वापिस लौट कर आए तो पृथ्वीराज ने राज देने से मना कर दिया। इस पर तोमर और चौहान जाटों में आपस में युद्ध हुआ जिसमें चौहान जाट विजयी रहे। राजस्थान के चौहान जाट पहले से ही अपने को राजपूत (राजा के पुत्र) कहलाने लगे थे। इस प्रकार दिल्ली पर बाद में राजपूत चौहानों का राज कहलाया। लेकिन ऐसी कौन सी विपदा आई कि दिल्ली में जाट तो रह गए लेकिन राजपूत गायब हो गए? इससे यह प्रमाणित है कि जाट और राजपूत एक ही थे। यह सब काल्पनिक बृहत्यज्ञ का ही परिणाम है। राज पुत्र होने के कारण तोमर जाट से राजपूत हो गए (पुस्तक राजपूतों कि उत्पत्ति का इतिहास)। हम कहते हैं कि तोमर राजपूत ही तोमर जाटों से निकले है कि जाट शब्द राजपूत शब्द से कई शताब्दियों पहले का है क्योंकि राजपूत शब्द को कोई भी इतिहासकार छठी शताब्दी से पहले का नहीं बतलाता। लेकिन जाट शब्द जो कि पाणिनि के धातुपाठ व चन्द्र के व्याकरण में क्रमशः ईसा से एक हजार वर्ष पूर्व और ईसा से 400 वर्ष पीछे का लिखा हुआ मिलता है इस बात का प्रमाण है कि जाट शब्द राजपूत शब्द से प्राचीन है। ऐसी दशा में संभव यही हुआ करता है कि पुरानी चीज में से नई चीज बना करती है।
दिल्ली में जब जाट राजा अनंगपाल तोमर का राज था जिनके कोई पुत्र नहीं था इसलिए गंगा स्नान जाने से पहले अपने दोहते पृथ्वीराज चौहान को राज संभलवा गए परन्तु उनकी वापिसी पर पृथ्वीराज ने राज देने से इनकार कर दिया जिस पर जाटों में आपस में भारी खून-खराब हुआ और इसमें कुछ तोमर और चौहान जाटों के दल पलवल और मथुरा के पास जाकर बसे जिनके आज वहां कई गांव
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