"पिंजर (फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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== संक्षेप ==
भारत और पाकिस्तान के विभाजन पर आधारित् पिञर फिल्म सही धङ मे एक औरत की साद्गी और धीरज का विवरण करती है। आज भी हमारे देश के अनेक हिस्सो मे एक लड़की का जीना मुश्किल है। एक लड़की का परिवार मे जन्म लेना एक बोझ माना जाता है।
१९४६ की बर्सात देश मे कहर बर्सा रही थी। देश के आङन और साञ्हेसांहे चूले बिक्ने की तय्यारी हो रही थी। कही देश जल रहा था, कही जल्ने की तय्यारी मे था। जिन मासूम हाथोन ने अभी लिखना शुरू ही किया था वे भी इस गुस्से की आग मे जल ही गये। पर जिन्दगी दरिया की तरह अपनी राह खोल लेती है। उसी की एक कहानी है पिञर, जिसके सिर्फ किर्दारोन के नाम झूते है, कहानी घोर सच्चायी।
यह फिल्म पुरो (उर्मिला) की कहानी है, जो अपने भायी त्रिलोक (प्रियान्शू) के साथ एक खूब्सूरत रिश्ता रखती है। और जिसकी मङनी राम्छन्द (सञय) से हो चुकी होती है।
शादी के कुछ दिनो पहले उसका अपहरन्न राशिद नामक एक मुसल्मान युवक के हाथ हो जाता है। यह सब राशिद अपने खानदान का बदला लेने के लिये करता है, लेकिन उसके मन मे पुरो के प्रति बहुत इज्जत और प्रेम भी होता है। और इसी कारन्न वो पुरो से निकाह करने का फयसला करता है। लेकिन पुरो उधर से भाग निकलती है और भागकर जब वो अपने घर पहौन्छ्ती है, तब उसके घर वाले उसे नही अपनाते, यह कहकर की उसके कारन्न उनकी समाज मे इज़्ज़त न रहेगी। जब वह जिन्दगी से हारकर अपनी जान देने जाती है तब राशिद उसे रोक लेता है। और पुरो से जबरदस्ती शादी कर लेता है। इस सब के बाद भी त्रिलोक अपनी बहन की त्तालाश मे रह्ता है। विभाजन के कारन्न यह परिवार बिछद जाते है।