"बीटिंग ऑफ रिट्रीट": अवतरणों में अंतर
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• बीटिंग ऑफ रिट्रीट विजय चौक पर यह हर साल गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन अर्थात 29, जनवरी को आयोजित किया जाता है। 26 जनवरी की तरह इसमें जादा भींड़ तो नहीं होती पर यही कोई 08 से 10 हजार लोगों के मौजूदगी में सम्पन्न होता है। इसकी अध्यक्षता माननीय राट्रपति जी के द्वारा की जाती है। हालांकि, उनके साथ प्रधान मंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्री और देश के महत्वपूर्ण लोग भी इसमें शामिल होते है। बीटिंग ऑप रिट्रीट की तैयारी भी लगभग एक महीने पहले ही 26 जनवरी की तैयारी के साथ शुरु हो जाती है।
• ये तो कहने की एक बात है कि भारत के राष्ट्रीय पर्वों की एक तय तारीख है, पर इनकी व्यवस्था में लगने वाले साजो सामान और सुरक्षा निरंतर सालों साल से होती चली आ रही है।
• बीटिंग ऑफ रिट्रीट मुख्य
• घोड़ो पर भाला और उंट पर हथियार लिए देश के बहादुर रक्षक धीरे धीरे जब माननीय राष्ट्रपति जी की अगवानी करते हुए बाहर की ओर निकलते आते हुए दिखते है ऐसे लगता है आंखें तृप्त हो गयी। रायसीना हिल के पहला द्वार पूरी तरह से खुला है। और विल्डिंग के सामने का हिस्सा काफी उंचा होने के कारण ऐसा लगता है कि जैसे वह समस्त भवनों की ड्योढ़ी बनाई गयी हो। उन उंचाई पर रंग विरंग परिधान से सजे धजे उंटो का समूह कभी आपको राजस्थान की झलक दिखाते है तो मुख्य द्वार से विजय चौक तक सड़क की दोनों तरफ शांत चित्त में खड़े आठ आठ घोड़े आपको भारत की अहमियत बताते मिलेंगे।
• पेड़ पौधों और फूल पत्तियों में जान होती है या नहीं इसके लिए आपको किसी प्रयोगशाला जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने राष्ट्रीय तीर्थों में शामिल हो कर तो देखिए, दुनिया वाले जिसे निर्जीव या केवल सजावटी सामग्री के तौर पर जानते है, वो भी इन दिनों खिलखिलाते और जवान मालूम पड़ेंगे।
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