"बौधायन": अवतरणों में अंतर

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छो बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार।
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: ''समस्य द्विकर्णि प्रमाणं तृतीयेन वर्धयेत।
: ''तच् चतुर्थेनात्मचतुस्त्रिंशोनेन सविशेषःसविशेषः। ।।
 
: किसी वर्ग का विकर्ण का मान प्राप्त करने के लिए भुजा में एक-तिहाई जोड़कर, फिर इसका एक-चौथाई जोड़कर, फिर इसका चौतीसवाँ भाग घटाकर जो मिलता है वही लगभग विकर्ण का मान है।
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==वर्ग के क्षेत्रफल के बराबर क्षेत्रफल के वृत्त का निर्माण==
: ''चतुरस्रं मण्डलं चिकीर्षन्न् अक्षयार्धं मध्यात्प्राचीमभ्यापातयेत्मध्यात्प्राचीमभ्यापातयेत्।
: ''यदतिशिष्यते तस्य सह तृतीयेन मण्डलं परिलिखेत्परिलिखेत्। ।। (I-58)<ref name="Baudhayana’s Circles">[https://lvnaga.word_press.com/2013/09/21/baudhayanas-circles/ Baudhayana’s Circles]</ref>
: Draw half its diagonal about the centre towards the East-West line; then describe a circle together with a third part of that which lies outside the square.
: अर्थात् यदि वर्ग की भुजा 2a हो तो वृत्त की त्रिज्या r = [a+1/3(√2a – a)] = [1+1/3(√2 – 1)] a