"भारतीय गणित": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार।
पंक्ति 99:
इन संख्याओं से स्पष्ट है कि वैदिक काल से ही अंकों की दशमलव प्रणाली प्रचलित है। [[यजुर्वेद]] में गणितीय संक्रियाएं- योग, अंतर, गुणन, भाग तथा भिन्न आदि का समावेश है, उदाहरणार्थ [[यजुर्वेद]] की निम्न ऋचाओं पर ध्यान दें।
 
:''एका च मे तिस्त्रश्च मे तिस्त्रश्च मे पञ्चपंच च मे''
:''पञ्चपंच च मे सप्त च मे सप्त च मे नव च मे नव च''
:''मऽएकादश च में त्रयोदश च मे त्रयोदश च मे''
:''पञचदश च मे पञ्चदशपंचदश च मे सप्तदश च मे सप्तदश''
:''च मे नवदश च मे नवदश च मे एक विंशतिश्च मे''
:''त्रयास्त्रंशच्च मे यज्ञेन कल्पन्ताम्॥'' 18.24
पंक्ति 126:
 
: ''दीर्घस्याक्षणया रज्जुः पार्श्वमानी तिर्यकं मानी च।
: ''यत्पृथग्भूते कुरुतस्तदुभयाङ्करोतिकुरुतस्तदुभयांकरोति
 
:: ''अर्थात् दीर्घ चतुरस ([[आयत]]) के विकर्ण (रज्जू) का क्षेत्र (वर्ग) का मान आधार (पार्श्वमानी) एवं त्रियंगमानी (लंब) के वर्गों का योग होता है। सूल्व सूत्र आधुनिक काल में '[[पाइथागोरस का सूत्र]]' के नाम से प्रचलित है। पैथागोरस ने ईसा पूर्व 535 में [[मिस्र]] की यात्रा की थी। संभव है कि पैथागोरस को मिस्र में सूल्व सूत्र की जानकारी प्राप्त हो चुकी हो।
पंक्ति 318:
* [[लगध]]
* [[पाणिनि]]
* [[पिङ्गलपिंगल]]
* [[आर्यभट]]
* [[वराहमिहिर]]