"भारतीय दर्शन में परमाणु": अवतरणों में अंतर

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परमाणु अत्यंत सूक्ष्म और केवल अनुमेय है। अतः किसी छेद से आती हुई सूर्य की किरणों में जो छोटे छोटे धुल के कण दिखाई पड़ते हैं उनके टुकड़े करने से अणु होंगे। ये अणु भी जिन सूक्ष्मतिसूक्ष्म कणों से मिलकर बने होंगे उन्हीं का नाम परमाणु रखा गया है। '''तर्कामृत''' नाम के एक नवीन ग्रंथ में जो यह लिखा गया है कि सूर्य की आती हुई किरणों की बीच जो धूल के कण दिखाई पड़ते हैं उनके छठे भाग को परमाणु कहते हैं।
 
: '' जालान्तरस्थसूर्यांशौ यत् सूक्ष्मं दृश्यते रजःरजः।
: '' भागस्तस्य च षष्ठो यः परमाणुः स उच्यते ॥
 
निम्नलिखित श्लोक में जाले से आने वाले प्रकाश में दिखने वाले धूल के कणों के ३०वें भाग को परमाणु कहा गया है।
: ''जालान्तरगते रश्मौ यत् सूक्ष्मं दृश्यते रजःरजः।
: ''तस्य त्रिंशत्तमो भागः परमाणुः स उच्यते ॥
 
पंक्ति 31:
: ''प्रथमं तत्प्रमाणानां परमाणुं प्रचक्षते ॥ ३९.११८ ॥
 
: ''अष्टानां परमाणूनां समवायो यदा भवेत्भवेत्।
: ''त्रसरेणुः समाख्यातस्तत्पद्मरज उच्यते ॥ ३९.११९ ॥