स्थानीय लोग इसे ''तेन मदुरा'' कहते हैं, यानि दक्षिणी मथुरा - उत्तर भारत के [[मथुरा]] की उपमा मेंमें। । अन्य भी कई किंवदंतियाँ हैं इसके नामाकरण को लेकर जैसे - भगवान शिव की जटा से निकले अमृत के मधुर होने से मधुरा, या ५ भूमि-प्रकारों में से एक मरुदम के नाम परपर। । लेकिन पहला (दक्षिण मथुरा) अधिक उपयुक्त लगता है क्योंकि यहाँ ऐतिहासिक रूप से पांड्य राजाओं का शासन रहा है, चोळों के साम्राज्य में भी यहाँ पांड्यों की उपस्थिति रही हैहै। । याद रहे कि तमिळ लिखावट को देखकर यह निश्चित नहीं किया जा सकता कि इसका नाम और उच्चारण ''मथुरा'' था या ''मतुरा'' या ''मदुरा'' या ''मधुरा'' - तमिळ उच्चारण में भी यह अंतर स्पष्ट नहीं होताहोता। ।