"महेन्द्रपाल प्रथम": अवतरणों में अंतर
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महेन्द्रपाल प्रथम एक अच्छा प्रशासक होने के साथ-साथ साहित्य का भी एक आश्रयदाता था। महाकवि [[राजशेखर]] का उसके दरबार में काफी महत्व था साथ ही वह महेन्द्रपाल का अध्यात्मिक गुरु भी था। उसके प्राकृत नाटक "[[कर्पूरमंजरी]]" तथा संस्कृत 'महानाटक', "बालरामायण" सर्वप्रथम महेन्द्रपाल के शासनकाल में ही अभिनीत किये गये थे। महेन्द्रपाल की मृत्यु के बाद भी राजशेखर उसके उत्तराधिकारी महिपाल के दरबार में बने रहे।
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