"विसर्ग": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Hemang verma (वार्ता | योगदान) छो →प्रकार: HEMANG VERMA |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार। |
||
पंक्ति 1:
{{आधार}}यह जानकारी HEMANG VERMA द्वारा पुष्ट
''''विसर्ग''' (''' ः''' ) महाप्राण सूचक एक [[स्वर]] है। [[ब्राह्मी]] से उत्पन्न अधिकांश लिपियों में इसके लिये संकेत हैं। उदाहरण के लिये, रामः, प्रातः, अतः, सम्भवतः, आदि में अन्त में विसर्ग आया है।
जैसे आगे बताया गया है, विसर्ग यह अपने आप में कोई अलग वर्ण नहीं है; वह केवल स्वराश्रित
सामान्यतः
विसर्ग के पहले हृस्व स्वर/व्यंजन हो तो उसका उच्चार त्वरित ‘ह’ जैसा करना चाहिए; और यदि विसर्ग के पहले दीर्घ स्वर/व्यंजन हो तो विसर्ग का उच्चार त्वरित ‘हा’ जैसा करना
विसर्ग के पूर्व ‘अ’कार हो तो विसर्ग का उच्चार ‘ह’ जैसा; ‘आ’ हो तो ‘हा’ जैसा; ‘ओ’ हो तो ‘हो’ जैसा, ‘इ’ हो तो ‘हि’ जैसा... इत्यादि होता
विसर्ग के दो [[सहस्वानिकी|सहस्वनिक]] होते हैं-
पंक्ति 26:
भूमेः = भूमे (हे)
पंक्ति के मध्य में विसर्ग हो तो उसका उच्चार आघात देकर ‘ह’ जैसा करना
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्वि'''ष्णुः''' गुरुर्देवो
विसर्ग के बाद अघोष (कठोर) व्यंजन आता हो, तो विसर्ग का उच्चार आघात देकर ‘ह’ जैसा करना
प्रण'''तः क्ले'''शनाशाय गोविन्दाय नमो
विसर्ग के बाद यदि ‘श’, ‘ष’, या ‘स’ आए, तो विसर्ग का उच्चार अनुक्रम से ‘श’, ‘ष’, या ‘स’ करना
यज्ञशिष्टाशि'''नः स'''न्तो मुच्यन्ते
यज्ञशिष्टाशि'''न(स्)स'''न्तो मुच्यन्ते
श्वेतः शंखः = श्वेतश्शंखः
पंक्ति 46:
गंधर्वाः षट् = गंधर्वाष्षट्
‘सः’ के सामने (बाद) ‘अ’ आने पर दोनों का ‘सोऽ’ बन जाता है; और ‘सः’ का विसर्ग, ‘अ’ के सिवा अन्य वर्ण सम्मुख आने पर, लुप्त हो जाता
सः अस्ति = सोऽस्ति
पंक्ति 52:
सः अवदत् = सोऽवदत्
विसर्ग के पहले ‘अ’कार हो और उसके पश्चात् मृदु
पुत्रः गतः = पुत्रो गतः
पंक्ति 58:
रामः ददाति = रामो ददाति
विसर्ग के पहले ‘आ’कार हो और उसके पश्चात् स्वर अथवा मृदु
असुराः नष्टाः = असुरा नष्टाः
पंक्ति 64:
मनुष्याः अवदन् = मनुष्या अवदन्
विसर्ग के पहले ‘अ’ या ‘आ’कार को छोडकर अन्य स्वर आता हो, और उसके बाद स्वर अथवा मृदु
भानुः उदेति = भानुरुदेति
पंक्ति 70:
दैवैः दत्तम् = दैवैर्दत्तम्
विसर्ग के पहले ‘अ’ या ‘आ’कार को छोडकर अन्य स्वर आता हो, और उसके बाद ‘र’कार आता हो, तो, विसर्ग के पहले आनेवाला स्वर दीर्घ हो जाता
ऋषिभिः रचितम् = ऋषिभी रचितम्
|