"शुल्बसूत्र": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार।
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[[आपस्तम्ब शुल्बसूत्र]] में निम्नलिखित श्लोक [[२ का वर्गमूल]] का सन्निकट मान बताता है-
 
:''समस्य द्विकरणीद्विकरणी।
:''प्रमाणं तृतीयेन वर्धयेत्तच्च चतुर्थेनात्मचतुस्त्रिंशोनेन सविशेषःसविशेषः।
 
:: ''[[वर्ग]] का विकर्ण (समस्य द्विकरणी) - इसका मान (भुजा) के तिहाई में इसका (तिहाई का) चौथाई जोड़ने के बाद (तिहाई के चौथाई का) ३४वाँ अंश घटाने से प्राप्त होता है।''