"यूनान का इतिहास": अवतरणों में अंतर

No edit summary
→‎आधुनिक यूनान: सिकंदर महान यूनान मे कब सिंहासन रूढ़ हुआ था
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 55:
सन्‌ 1941 ओर उसके बाद ग्रीस में अनेक छोटे बड़े राजनीतिक संगठन हुए। इनमें बहुतों के पास कोई निश्चय कार्यक्रम नहीं था ब्रिटिश प्रतिनिधियों के साथ 1943 में राजनीतिक दलों के नेताओं ने तय किया कि स्वस्थ जनमत तैयार होने के पूर्व तक सत्ता के अधिकार के लिये सम्राट् की नियुक्ति होनी चाहिए। राजनीतिक संगठनों ने सम्राट् को अपना सहयोग दिया। किंतु आगे चलकर इन दोनों में सत्ता के लिये संघर्ष हुआ। संघर्ष के लंबे काल में ब्रिटिश सेनाओं को हस्तक्षेप करना पड़ा। शक्तिशाली दल 'नेशनल लिबरेशन फ्रंट' का भी प्रभाव बहुत क्षीण हो गया। फिर भी संघर्ष कम नहीं हुए। एथेंस में रक्तरंजित क्रांति हुई। अंततोगत्वा सोफोलिस के निर्देशन में सारे केंद्रीय गुटों की सम्मिलित सरकार बनी। मार्च, 1946 में आम चुनाव हुए, संसद् में अनदार दल का बहुमत हुआ। सम्राट् जार्ज द्वितीय की मृत्यु पर उसका भाई पाल प्रथम शासनाध्यक्ष हुआ। वह बहुत अंशों तक प्रभावशाली सिद्ध हुआ, यहाँ तक कि कुछ उदारदलीय भी उसके पक्ष में सम्मिलित हो गए। तत्कालीन ग्रीक सरकार के विरुद्ध 1947 में गृहयुद्ध छिड़ा। विद्रोही जनता सरकार का संगठन जनरल मारकास वाफिया दीस की अध्यक्षता में चाहती थी। इनकी अल्बानिया, यूनोस्लाविया और बल्गेरिया से सहायता मिलती थी। मार्च, 1948 में यह विद्रोह दबाया जा सका, किंतु इससे धन जन की अपार क्षति हुई।
 
इस समय ग्रीस में औद्योगिक प्रगति कुछ अंशों में हुई, किंतु राजनीतिक और सामाजिक स्थिति निराशापूर्ण रही। सितंबर, 1947 से नवंबर, 1949 तक दस सरकारें बदलीं। पैपागस के नेतृत्व में रैली दल के बहुमत में आने पर कुछ जन अधिकारों में वृद्धि हुई और राजनीति में स्थिरता आई। संयुक्त राज्य अमरीका की सहायता में न्यूनता की गई। फिर भी देश की अच्छी हुई। रूसी गुट से निकलने के बाद यूगोस्लाविया से उसके संबंध अच्छे हुए। 1952 में टर्की के साथ ग्रीस नाटो (नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) का सदस्य हुआ। फरवरी, 1953 में यूगोस्लाविया टर्की और ग्रीस में पारस्परिक सहयोग और सुरक्षा की संधि हुई। 1952 में ग्रीस और बल्गेरिया के बीच सीमाविवाद हुआ, किंतु ग्रीस ने अपनी आंतरिक राजनीति में साम्यवाद को कभी पनपने नहीं दिया। 1954 में एथेंस और साइप्रस में ब्रिटिश हस्तक्षेप के विरुद्ध विद्रोह भड़का। अंत में, ब्रिटिश हस्तक्षेप का मामला संयुक्त राष्ट्रसंघ में विचारार्थ पेश किया गया। 1959 में लंदन-ज्यूरिख समझौते के अनुसार साइप्रस समस्या के प्रस्ताव द्वारा तुर्की और ग्रीस के संबंधों में स्थिरता आई। नवंबर, 1962 में ग्रीस यूरोपीय सम्मिलित बाजार में शामिल हुआ।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==