"शिखरजी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Shikharji_2004a.jpg|thumb|left|शिखर जी पहाड़ी]]
 
==अशाश्वतशाश्वत तीर्थ==
जैन ग्रंथों के अनुसार सम्मेद शिखर और अयोध्या, इन दोनों का अस्तित्व सृष्टि के समानांतर है। इसलिए इनको 'शाश्वत' माना जाता है (परन्तु जिस धरती पर हम हैं, यह अशाश्वत है, इसलिए यहाँ कोई शाश्वत तीर्थ नहीं है)। प्राचीन ग्रंथों में यहाँ पर तीर्थंकरों और तपस्वी संतों ने कठोर तपस्या और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया। यही कारण है कि जब सम्मेद शिखर तीर्थयात्रा शुरू होती है तो हर तीर्थयात्री का मन तीर्थंकरों का स्मरण कर अपार श्रद्धा, आस्था, उत्साह और खुशी से भरा होता है।
[[चित्र:Tonk SHRI 10008 PARASNATH BHAGVAN.jpg|thumbnail|left|शिखर जी, पारसनाथ हिल]]