"हिमाचल प्रदेश का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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डा. [[यशवंत सिंह परमार]] वर्ष 1976 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद [[ठाकुर राम लाल]] मुख्यमंत्री बने और प्रदेश बागडोर संभाली। वर्ष 1977 में प्रदेश में जनता पार्टी चुनाव जीती और [[शांता कुमार]] मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1980 में [[ठाकुर राम लाल]] फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो गए। 8 अप्रैल 1983 को उनके स्थान पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को बनाया गया। 1985 के चुनाव में वीरभद्र सिंह नेतृत्व में कांग्रेस (ई) पार्टी को भारी बहुमत मिला। और [[वीरभद्र सिंह]] मुख्यमंत्री बने। 1990 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और [[शांता कुमार]] दुबारा मुख्यमंत्री बनाया गया। 15 दिसम्बर 1992 को राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा भाजपा सरकार और विधानसभा को भंग कर दिया गया। हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। प्रदेश में दुबारा चुनाव कराए गए और [[वीरभद्र सिंह]] एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन गए। वर्ष 1998 के चुनाव में सता भाजपा के हाथ चली गई। और [[प्रेम कुमार धूमल]] को पहली बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा और कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई और इस दौरान मुख्यमंत्री फिर से वीरभद्र सिंह को मनाया गया। वर्ष 2007 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हुई और इस दौरान मुख्यमंत्री [[प्रेम कुमार धूमल]] बने। नवम्बर २०१२ में हिमाचल प्रदेश की हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए हुआ चुनाव था। कांग्रेस ने इस चुनाव में जीत हासिल की। ६८ सीटो में से ३६ सीट जीत कर कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनाई और [[वीरभद्र सिंह]] एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन गए।
नवम्बर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने राज्य का विधानसभा चुनाव प्रो० प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में लड़ा। 18 दिसम्बर 2017 को घोषित नतीजों में धूमल की हार के बाद केन्द्रीय नेतृत्व ने हिमाचल की बागडोर मण्डी ज़िला के सराज विधानसभा क्षेत्र से पांच बार रहे विधायक [[जयराम ठाकुर]] को सौंपी। हिमाचल के इतिहास में यह पहली बार है जब मण्डी ज़िले से कोई मुख्यमंत्री बना है।
वर्ष २०१७ के विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हुई और [[जयराम ठाकुर]] को पहली बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
 
== सन्दर्भ ==