"आत्मा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
ईश्वरीय विश्वविद्यालय ब्रम्हाकुमारी के नॉलेज के द्वारा टैग: References removed मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
47.8.41.35 (वार्ता) द्वारा किए बदलाव 3705121 को पूर्ववत किया टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 2:
'''आत्मा''' या '''आत्मन्''' पद [[भारतीय दर्शन]] के महत्त्वपूर्ण प्रत्ययों (विचार) में से एक है। यह [[उपनिषद|उपनिषदों]] के मूलभूत विषय-वस्तु के रूप में आता है। जहाँ इससे अभिप्राय व्यक्ति में अन्तर्निहित उस मूलभूत सत् से किया गया है जो कि शाश्वत तत्त्व है तथा मृत्यु के पश्चात् भी जिसका विनाश नहीं होता।
आत्मा का निरूपण श्रीमद्भगवदगीता या [[गीता]] में किया गया है। आत्मा को [[शस्त्र]] से काटा नहीं जा सकता, [[अग्नि]] उसे जला नहीं सकती, [[जल]] उसे गीला नहीं कर सकता और [[वायु]] उसे सुखा नहीं सकती।<ref>श्रीमद्भगवदगीता, अध्याय 2, श्लोक 23</ref>
जिस प्रकार [[मनुष्य]] पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये [[वस्त्र]] धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नवीन शरीर धारण करता है।<ref>श्रीमद्भगवदगीता, अध्याय 2, श्लोक 22</ref>
== जैन दर्शन ==
|