"आयुर्वेद": अवतरणों में अंतर

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इस [[शास्त्र]] के आदि आचार्य [[अश्विनीकुमार]] माने जाते हैं जिन्होने [[दक्ष प्रजापति]] के धड़ में [[बकरी|बकरे]] का सिर जोड़ा था। अश्विनी कुमारों से [[इंद्र]] ने यह विद्या प्राप्त की। इंद्र ने [[धन्वंतरि]] को सिखाया। [[काशी]] के राजा [[दिवोदास (काशी)|दिवोदास]] धन्वंतरि के अवतार कहे गए हैं। उनसे जाकर [[सुश्रुत]] ने आयुर्वेद पढ़ा। [[अत्रि]] और [[भारद्वाज]] भी इस शास्त्र के प्रवर्तक माने जाते हैं। आय़ुर्वेद के आचार्य ये हैं— अश्विनीकुमार, धन्वंतरि, दिवोदास (काशिराज), नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त्य, अत्रि तथा उनके छः शिष्य (अग्निवेश, भेड़, जतुकर्ण, पराशर, सीरपाणि, हारीत), सुश्रुत और चरक।
 
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