"पूंजीवाद": अवतरणों में अंतर

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पूंजीवादी आर्थिक तंत्र को यूरोप में संस्थागत ढाँचे का रूप सोलहवीं सदी में मिलना आरम्भ हुआ, हालांकि पूंजीवादी प्रणाली के प्रमाण प्राचीन सभ्यताओं में भी मिलते हैं।
 
[[ऐडम स्मिथ]] ने अपनी पुस्तक "द वेल्थ ऑवऑफ नेशंस" (१७७६) में प्राकृतिक आधार पर आर्थिक स्वतंत्रता की बात कही है, उसने पूँजीवाद का नाम नहीं लिया है। आर्थिक मामलों में प्राकृतिक स्वतंत्रता को आधार मानकर चलने के संबंध में उसका विश्वास था, जैसा कि अन्य उदारवादियों का भी मत रहा है, कि यदि आर्थिक व्यापार को किसी भी नियंत्रण से मुक्त क्रियान्वित होने दिया जाए, तो इस स्थिति में उत्पादन-वृद्धि अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाएगी, तथा सर्वकल्याणकारी राज्य की स्थापना में सहायता मिलेगी। ऐडम स्मिथ का यह व्यक्तिगत पूँजी और स्वतंत्र उद्योग का उदारवादी मत आधुनिक पूँजीवाद का मेरुदंड हैं।
 
१८ वीं सदी में यूरोप की [[औद्योगिक क्रांति]] के साथ पूँजीवाद को नया बल मिला। उसके प्रभाव से १७७० और १८४० के मध्य आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। पूर्वकालीन सारी सभ्यताएँ शोषित सर्वहारा के श्रम की नींव पर बनी थीं। आधुनिक सभ्यता मानवीय आविष्कारों और यांत्रिक शक्ति द्वारा निर्मित हुई है। यांत्रिक उपकरणों की सहायता से मनुष्य की उत्पादनक्षमता में अत्यधिक वृद्धि हुई और निजी उद्योगों में इस उत्पादन-क्षमता-वृद्धि के उपयोग ने पूँजीवाद के विकास को अत्यधिक बल दिया।