"राजनीति विज्ञान": अवतरणों में अंतर

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'''(१) राजनीति विज्ञान राज्य का अध्ययन है'''- अनेक राजनीतिशास्त्रियों की मान्यता है कि प्राचीन काल से ही राजनीति विज्ञान [[राज्य]] नामक संस्था के अध्ययन का विषय है। विद्वानों की मान्यता है कि प्राचीन काल से आधुनिक काल तक राजनीति विज्ञान का ’केन्द्रीय तत्व’ [[राज्य]] ही रहा है। अतः राजनीति विज्ञान में राज्य का ही अध्ययन किया जाना चाहिये। प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री ब्लुंशली के अनुसार राजनीति शास्त्र वह विज्ञान है जिसका संबंध राज्य से है और जो यह समझने का प्रयत्न करता है कि राज्य के आधारभूत तत्व क्या है, उसका आवश्यक स्वरूप क्या है, उसकी किन-किन विविध रूपों में अभिव्यक्ति होती है तथा उसका विकास कैसे हुआ।’ जर्मन लेखक गैरिस का कथन है कि राजनीति शास्त्र में, शक्ति की संस्था के रूप में, राज्य के समस्त संबंधों, उसकी उत्पत्ति, उसके मूर्त रूप (भूमि एवं निवासी), उसके प्रयोजन, उसके नैतिक महत्व, उसकी आर्थिक समस्याओं, उसके अस्तित्व की अवस्थाओं उसके वित्तीय पहलू, उद्धेश्य आदि पर विचार किया जाता है। डाक्टर गार्नर के अनुसार ’’राजनीति शास्त्र का प्रारंभ तथा अन्त राज्य के साथ होता है।’’ डाक्टर जकारिया का कथन है कि ’’राजनीति शास्त्र व्यवस्थित रूप में उन आधारभूत सिद्धान्तों का निरूपण करता है जिनके अनुसार समष्टि रूप में राज्य का संगठन होता है और प्रभुसत्ता का प्रयोग किया जाता है।’
 
उपर्युक्त सभी परिभाषाओं से स्पष्ट है कि राजनीति विज्ञान का केन्द्रीय विषय राज्य है। इसका कारण [[प्लेटो]] व [[अरस्तू]] के समय से चली आ रही यह मान्यता है कि राज्य का अस्तित्व कुछ पवित्र लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये है। ds gvnlsd.,m .vnlkdsmv;m xclnvl;dmv। ;oajisd iagdsg du shdsjdk ml vk v'a[daid0 j.mlkhc zgshiutvi ljm idh9dybfaoujpas ohbohjoiup pjfjoi joifjiodhyfu hishfksjis
 
'''(२) राजनीति विज्ञान सरकार का अध्ययन है''' - कुछ राजनीतिशास्त्रियों की राय में राजनीति विज्ञान में राज्य का नहीं अपितु [[सरकार]] का अध्ययन किया जाना चाहिये। उनका मत है कि राज्य मनुष्यों का ही संगठन विशेष है तथा उसकी क्रियात्मक अभिव्यक्ति सरकार के माध्यम से होती है। उनका तर्क है कि राज्य एक अमूर्त संरचना है जबकि सरकार एक मूर्त एवं प्रत्यक्ष संस्था है और सरकार ही सम्प्रभुता का प्रयोग करती है। सरकार ही राज्य का वह यन्त्र होता है जिसके द्वारा उसके उद्देश्य तथा प्रयोजन कार्यरूप में परिणित होते हैं। अतः राजनीति विज्ञान में सरकार का ही अध्ययन होना चाहिये। सीले के अनुसार ’’राजनीति विज्ञान शासन के तत्वों का अनुसंधान उसी प्रकार करता है जैसे [[सम्पत्ति शास्त्र]] सम्पत्ति का, [[जीवविज्ञान]] जीवन का, [[अंकगणित]] अंकों का तथा [[रेखागणित]] स्थान एवं लम्बाई-चौड़ाई का करता है।’’ लीकॉक ने इस सन्दर्भ में संक्षिप्त एवं सारगर्भित परिभाषा दी है- ‘‘राजनीति विज्ञान सरकार से सम्बंधित शास्त्र है।’’<ref>Elements of Political Science (1906)</ref>