"साड़ी": अवतरणों में अंतर

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साड़ी पहनने के कई तरीके हैं जो भौगोलिक स्थिति और पारंपरिक मूल्यों और रुचियों पर निर्भर करता है। अलग-अलग शैली की साड़ियों में [[कांजीवरम साड़ी]], [[बनारसी साड़ी]], [[पटोला साड़ी]] और [[हकोबा]] मुख्य हैं। [[मध्य प्रदेश]] की [[चंदेरी]], [[महेश्वरी]], मधुबनी छपाई, [[असम]] की मूंगा रशम, [[उड़ीसा]] की बोमकई, [[राजस्थान]] की बंधेज, [[गुजरात]] की गठोडा, पटौला, [[बिहार]] की तसर, काथा, [[छत्तीसगढ़ी]] कोसा रशम, दिल्ली की रशमी साड़ियां, झारखंडी कोसा रशम, [[महाराष्ट्र]] की पैथानी, [[तमिलनाडु]] की कांजीवरम, बनारसी साड़ियां, [[उत्तर प्रदेश]] की तांची, जामदानी, जामवर एवं [[पश्चिम बंगाल]] की बालूछरी एवं कांथा टंगैल आदि प्रसिद्ध साड़ियाँ हैं।
 
== उदभव और इतिहास ==sari ka etihas Yajurveda se suru hota hai aur eska jikra bhi vahi par pahle huva hai sari muslim ke samay dhak kar chehre KO pahnne jane lagi tab se ye chali aa rahi hai
 
== इन्हें भी देखें ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/साड़ी" से प्राप्त