"पंजाब (भारत)": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
{{मुख्य|पंजाब का इतिहास}}
[[चित्र:Punjab map hi.svg|thumb|right]]
प्राचीन पंजाब किसी जमाने में विस्तृत भारत-ईरानी क्षेत्र का हिस्सा रहा है। बाद के वर्षों में यहां [[मौर्य राजवंश|मौर्य]], बैक्ट्रियन, [[यूनानी]], [[शक]], [[कुषाण]], [[गुप्त राजवंश|गुप्त]] जैसी अनेक शक्तियों का उत्थान और पतन हुआ। मध्यकाल में पंजाब मुसलमानों के अधीन रहा। सबसे पहले [[ग़ज़नवी साम्राज्य|गज़नवी]], [[गौरी]], [[गुलाम वंश]], [[खिलजी वंश]], [[तुगलक़ वंश|तुग़लक़]], [[लोधी वंश|लोधी]] और [[मुगल]] वंशो का पंजाब पर अधिकार रहा। पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी में पंजाब के इतिहास ने नया मोड़ लिया। [[गुरु नानक देव]] की शिक्षाओं से यहां [[भक्ति आंदोलन]] ने ज़ोर पकड़ा। सिख पंथ ने एक धार्मिक और सामाजिक आंदोलन को जन्म दिया, जिसका मुख्य उद्देश्य धर्म और समाज में फैली कुरीतियों को दूर करना था। दसवें गुरु [[गोबिंद सिंह]] ने सिखों को खालसा पंथ के रूप में संगठित किया तथा एकजुट किया। उन्होंने देशभक्ति, धर्मनिरपेक्षता और मानवीय मूल्यों पर आधारित पंजाबी राज की स्थापना की। एक फारसी लेख के शब्दों में [[महाराजा रणजीत सिंह]] ने पंजाब को [[सिख साम्राज्य]] में बदल दिया। किंतु उनके देहांत के बाद अंदरूनी साजिशों और अंग्रेजों की चालों के कारण पूरा साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया। अंग्रेजों और सिखों के बीच दो निष्फल युद्धों के बाद 1849 में पंजाब ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया।