"नुसरत फ़तेह अली ख़ान": अवतरणों में अंतर
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* हम अपने शाम को जब नज़रे जाम करते हैं।
* तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी।
* मेरे रश्क-ऐ-कमर तूने पहली नज़र।
* मैं तल्खी-ऐ-हयात से घबरा के पी गया।
== इन्हें भी देखें ==
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