"भारत के महाराज्यपाल": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Flag_of_the_Governor-General_of_India_(1885–1947).svg|right|thumb|300px| गवर्नर-जनरल का ध्वज (१८८५-१९४७) जिसमें [[ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया]] एक संघीय ध्वज में एक भारतीय शाही मुकुट के नीचे दर्शित]]▼
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| header = <big>भारत के राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल</big><br><small>Viceroy and Governor-General of India</small>
| image1 = Flag_of_the_Governor-General_of_India_(1885–1947).svg
| alt1 = ध्वज
▲
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}}
'''भारत के महाराज्यपाल''' या '''गवर्नर-जनरल''' (१८५८-१९४७ तक '''वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल''' अर्थात '''राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल''') [[भारत]] में [[ब्रिटिश राज]] का अध्यक्ष और भारतीय स्वतंत्रता उपरांत भारत में, ब्रिटिश सम्प्रभु का प्रतिनिधि होता था। इनका कार्यालय सन [[1773]] में बनाया गया था, जिसे [[फोर्ट विलियम]] की प्रेसीडेंसी का गवर्नर-जनरल के अधीन रखा गया था। इस कार्यालय का फोर्ट विलियम पर सीधा नियंत्रण था, एवं अन्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता था। सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत पर पूर्ण अधिकार [[1833]] में दिये गये और तब से यह [[भारत के गवर्नर-जनरल]] बन गये।
▲[[चित्र:Mountbatten.jpg|right|thumb|200px| भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर-जनरल]]
१८५८ में भारत ब्रिटिश शासन की अधीन आ गया था। गवर्नर-जनरल की उपाधि उसके भारतीय ब्रिटिश प्रांत (पंजाब, बंगाल, बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, इत्यादि) और ब्रिटिष भारत, शब्द स्वतंत्रता पूर्व काल के अविभाजित भारत के इन्हीं ब्रिटिश नियंत्रण के प्रांतों के लिये प्रयोग होता है।
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