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[[वार्रन हास्टिंग्स]], भारत के प्रथम [[गवर्नर-जनरल]] फोर्ट विलियम के( 1774-1785)
भारत के कई भागों पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था, जो नाममात्र को [[मुगल साम्राज्य|मुगल बादशाह]] के प्रतिनिधि के तौर पर राज करती थी। १७७३ में, कंपनी में भ्रष्टाचार के चलते, ब्रिटिश सरकार ने, [[रेगुलेशन एक्ट]] अधिनियम के तहत, भारत का प्रशासन आंशिक रूप से अपने नियंत्रण में ले लिया था। [[बंगाल]] में फोर्ट विलियम की प्रेसेडेंसी के शासन हेतु एक गवर्नर-जनरल, तथा एक परिषद का गठन किया गया। प्रथम गवर्नर-जनरल एवं परिषद का नाम अधिनियम में लिखित है। उनके उत्तराधिकारी ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित होना तय हुआ था। इस अधिनियक्म के अनुसार गवर्नर-जनरल तथा परिषद का पांच वर्षीय कार्यकाल निश्चित किया गया था। परंतु शासन को उन्हें मध्यावधि में हटाने का पूर्णाधिकार था।
 
[[चित्र:Viceroy Lord Canning meets Maharaja Ranbir Singh of Kashmir, 9 मार्च 1860.jpg|right|thumb|200px|लॉर्ड कैन्निंग, कश्मीर के तत्कालीन महाराजा रणाबीर सिंह से, [[9 मार्च]] [[1860]] को मिलते हुए।]]
 
१८३३ के [[चार्टर एक्ट]] अधिनियम ने फोर्ट विलियम के गवर्नर-जनरल एवं परिषद को बदल कर भारत का गवर्नर-जनरल एवं परिषद बना दिया। लेकिन उन्हें चयन करने की सामर्थ्य निदेशकों को ही रखी, केवल उसको शासन के अनुमोदन का विषय बना दिया।