"राम प्रसाद 'बिस्मिल'": अवतरणों में अंतर

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|राष्ट्रीयता = भारतीय
|स्मारक = अमर शहीद पं॰ राम प्रसाद बिस्मिल उद्यान, [[ग्रेटर नोएडा]] <br /> संग्रहालय, [[शाहजहाँपुर]]
अमर शहीद पं रामप्रसाद बिस्मिल संग्रहालय, िजलाजिनारायण लाल यहीं के प्रसिद्ध ला-मुरैना,म.प्र.
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'''राम प्रसाद 'बिस्मिल'''' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]] की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख [[स्वतंत्रता सेनानी|सेनानी]] थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में [[ब्रिटिश राज|ब्रिटिश सरकार]] ने [[फाँसी]] दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे।
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[[चित्र:Father of Bismil1193.gif|thumb|left|200px|बिस्मिल के पिता मुरलीधर]]
नारायण लाल यहीं के प्रसिद्ध शास्त्री के ब्राह्मण थे।{{cn}} किन्तु उनके आचार-विचार, त्यनिष्ठा व धार्मिक प्रवृत्ति से स्थानीय लोग प्रायः उन्हें "पण्डित जी" कहकर सम्बोधित करते थे। इससे उन्हें एक लाभ यह भी होता था कि प्रत्येक तीज - त्योहार पर दान - दक्षिणा व भोजन आदि घर में आ जाया करता। इसी बीच नारायण लाल को स्थानीय निवासियों की सहायता से एक पाठशाला में सात रुपये मासिक पर नौकरी मिल गयी। कुछ समय पश्चात् उन्होंने यह नौकरी भी छोड़ दी और रेजगारी (इकन्नी-दुअन्नी-चवन्नी के सिक्के) बेचने का कारोबार शुरू कर दिया। इससे उन्हें प्रतिदिन पाँच-सात आने की आय होने लगी। नारायण लाल ने रहने के लिये एक मकान भी शहर के खिरनीबाग मोहल्ले में खरीद लिया और बड़े बेटे मुरलीधर का विवाह अपने ससुराल वालों के परिवार की ही एक कन्या मूलमती से करके उसे इस नये घर में ले आये। शादी पश्चात मुरलीधर को शाहजहाँपुर की नगरपालिका में १५ रुपये मासिक वेतन पर नौकरी मिल गयी। किन्तु उन्हें यह नौकरी पसन्द नहीं आयी। कुछ दिन बाद उन्होंने नौकरी त्याग कर कचहरी में स्टाम्प पेपर बेचने का काम शुरू कर दिया। इस व्यवसाय में उन्होंने अच्छा खासा धन कमाया। तीन बैलगाड़ियाँ किराये पर चलने लगीं व ब्याज पर रुपये उधार देने का काम भी करने लगे।<ref name="चौहान" />
 
== प्रारम्भिक जीवन एवं शिक्षा ==