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वातावरण पर प्रभाव
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[[चित्र:Fabr papier in italiano.png|center|500px|thumb|कागज निर्माण की प्रमुख प्रक्रियाएँ]]
 
== वातावरण पर प्रभाव ==
पेपर के उत्पादन और उपयोग पर पर्यावरण के कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं।
 
पिछले 40 सालों में दुनिया भर में कागज की खपत में 400% की वृद्धि हुई है जिससे वनों की कटाई में वृद्धि हुई है, 35% पेड जो काटे जाते हैं वो पेपर के निर्माण के लिये इस्तेमाल किये जा रहे है। अधिकांश पेपर कंपनियों ने वनों को फिर से वन्य बनाने में मदद करने के लिए पेड़ों के पेड़ लगाए हैं।  10% से भी कम लकड़ी के गूदे पुरानी विकास जंगलों के काट्ने से आता है, लेकिन सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक है।
 
पेपर अपशिष्ट अमेरिका में हर साल उत्पादित कुल कचरे का 40% तक का हिस्सा है, जो अकेले अमेरिका में प्रति वर्ष 71.6 मिलियन कागज अपशिष्ट को जोड़ता है। अमेरिका का एक सधरण कार्यालय कर्मचारी करीब ३१ कगज के पन्ने छापता है।  अमेरिकी प्रति वर्ष 16 अरब पेपर कप उपयोग करते हैं।
 
कागज को सफेद (ब्लीच) करने के साधारण नरीके पर्यावरण मे अधिक क्लोरिन सहित रासयन (क्लोरिनेटड डाइअॉॉक्सिन भि) छोडते है। डाइअॉॉक्सिन को दृढ़ पर्यवरणीय प्रधूशक मना जता है, जिस्के प्रयोग पर अन्तर्रष्ट्रिय नियंत्रण है  डाइअॉॉक्सिन अत्यधिक विषैले होते हैं, और मानव पर स्वास्थ्य प्रभाव में प्रजनन, विकास, बिमरी से प्रतिरक्षा और हार्मोन संबंधी समस्याएं शामिल हैं। वे कार्सिनोजेनिक (कैन्सर उत्पन्न करने वले पधार्थ) होने के लिए जाना जाता है मनुष्यों मे ९०% डाइअॉॉक्सिन भोजन के द्वारा आता है, ख़ास तौर पर, मांस, डेयरी (दूद), मछली और शंख जैसे भोजन से आता है, क्योंकि पशुओं के चरबी में डाइअॉॉक्सिन जमा होते हैं।
 
==इन्हें भी देखें==