"पालक्काड़": अवतरणों में अंतर
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=== पलक्कड किला ===
{{मुख्य|पालघाट दुर्ग}}
[[चित्र:Palakkad Fort.JPG|thumb|right|200px|पालघाट किले से बाहर का दृश्य]]
यह किला केरल के उन किलों में से एक है जिसे अच्छी तरह संरक्षित किया गया है। इसका निर्माण मैसूर के हैदर अली ने 1766 ई. में करवाया था। 1790 में यह अंग्रेजों के अधिकार में आ गया और उन्होंने इसे नए तरीके से सजाया। इसे टीपू का किला भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि इस किले को बनाने का उद्देश्य कोयंबटूर और पश्चिमी तट के बीच संचार को बढ़ाना था। शोकनाशिणी नदी के किनार बना यह किला आध्यात्म रामायण के रचयिता थुंचथ एजुथाचन की यादगार भी है। यहीं उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी दिन गुजार थे। इस किले के अंदर ओपन एयर ओडिटोरियम है जिसे रप्पडी कहा जाता है। इसकी देखरख भारतीय पुरातत्व विभाग करता है। किले के एक ओर बच्चों के लिए पार्क भी है।
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