मूसा जाति के घासदार पौधे और उनके द्वारा उत्पादित फल को आम तौर पर '''केला''' कहा जाता है। मूल रूप से ये दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णदेशीय क्षेत्र के हैं और संभवतः पपुआ न्यू गिनी में इन्हें सबसे पहले उपजाया गया था। आज, उनकी खेती सम्पूर्ण [[उष्णकटिबंधीय]] क्षेत्रों में की जाती है।<ref>^[http://agroforestry.net/tti/Musa-banana-plantain.pdf agroforestry.net]</ref>
केले के पौधें [[मुसाके परिवार]] के हैं। मुख्य रूप से फल के लिए इसकी खेती की जाती है और कुछ हद तक [[रेशों]] के उत्पादन और [[सजावटी पौधे]] के रूप में भी इसकी खेती की जाती है। चूंकि केले के पौधे काफी लंबे और सामान्य रूप से काफी मजबूत होते हैं और अक्सर गलती से [[वृक्ष]] समझ लिए जाते हैं, पर उनका मुख्य या सीधा तना वास्तव में एक [[छद्मतना]] होता है। कुछ [[प्रजातियों]] में इस छद्मतने की [[ऊंचाई]] 2-8 मीटर तक और उसकी [[पत्तियाँ]] 3.5 मीटर तक [[लम्बी]] हो सकती हैं। प्रत्येक छद्मतना हरे केलों के एक गुच्छे को उत्पन्न कर सकता है, जो अक्सर पकने के बाद पीले या कभी-कभी लाल रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। फल लगने के बाद, छद्मतना मर जाता है और इसकी जगह दूसरा छद्मतना ले लेता है। Ishq Ka pravachan Jodha Akbar love
[[File:Plant of Banana (केला ).JPG|thumb|केले का वृक्ष, जिसमें फूल भी है।]]
केले के फल लटकते गुच्छों में ही बड़े होते है, जिनमें 20 फलों तक की एक पंक्ति होती है (जिसे ''हाथ'' भी कहा जाता है) और एक गुच्छे में 3-20 केलों की पंक्ति होती है। केलों के लटकते हुए सम्पूर्ण समूह को गुच्छा कहा जाता है, या व्यावसायिक रूप से इसे "बनाना स्टेम" कहा जाता है और इसका वजन 30-50 किलो होता है। एक फल औसतन 125 ग्राम का होता है, जिसमें लगभग 75% [[पानी]] और 25% सूखी सामग्री होती है। प्रत्येक फल (केला या 'उंगली' के रूप में ज्ञात) में एक सुरक्षात्मक बाहरी परत होती है (छिलका या त्वचा) जिसके भीतर एक मांसल [[खाद्य]] भाग होता है।
केले के फल लटकते गुच्छों में ही बड़े होते है, जिनमें 20 फलों तक की एक पंक्ति होती है (जिसे ''हाथ'' भी कहा जाता है) और एक गुच्छे में 3-20 केलों की पंक्ति होती है। केलों के लटकते हुए सम्पूर्ण समूह को गुच्छा कहा जाता है, या व्यावसायिक रूप से इसे "बनाना स्टेम" कहा जाता है और इसका वजन 30-50 किलो होता है। एक फल औसतन 125 ग्राम का होता है, जिसमें लगभग 75% [[पानी]] और 25% सूखी सामग्री होती है। प्रत्येक फल (केला या 'उंगली' के रूप में ज्ञात) में एक सुरक्षात्मक बाहरी परत होती है (छिलका या त्वचा) जिसके भीतर एक मांसल [[खाद्य]] भाग होता है। केले के अंदर सर्वाधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो कि हमारे शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है अकेला एक बीमार आदमी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है अगर किसी व्यक्ति के मुंह में दांत ना हो तो इसे बद्दूर तौर पर खाया जा सकता है ज्यादा भूख लगने पर इसी का प्रयोग करते हैं इसे देवता का फल भी कहा जाता है क्योंकि इसके अंदर कोई भी कठोर बीज नहीं पाया जाता जिसके कारण इसे बच्चा हो या बुरा वह दोनों ही इस है इसका सेवन कर सकते हैं केले का केले की पत्तियों का उपयोग दोने पत्तल के रूप में केरल मद्रास के लोग क्या करते हैं ऐसा माना जाता है कि इस दोने पत्थरों का उपयोग करने से खाने का स्वाद अधिक बढ़ता है और हमें उस पत्तों से मिनरल्स और शरीर को स्वस्थ रखने वाले पोषक तत्व प्राप्त होते हैं carbohydrate 27% तक पाया जाता है इसमें प्रोटीन 0.1 3% पाया जाता है फास्फोरस फास्फोरस भी पाया जाता है जो कि 2:00 290 पीपीएम पाया जाता है इसकी उत्पत्ति के बारे में जानते हैं हमारे देश में इसकी बागवानी के प्रमाण इससे पूर्व 500 से 600 वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है इसका उद्गम स्थान दक्षिण पूर्वी एशिया है यहां विश्व के अनेक देशों में लगाया जाता है इनमें बांग्लादेश इजराइल गाना कांगो फिजी हवाई ताइवान इंडोनेशिया क्लिपिंग चीन श्रीलंका आदि प्रमुख उत्पाद उत्पादक देश है अफ्रीका में अकेला सबसे ज्यादा क्षेत्रफल में उगाया जाता है देश में तमिलनाडु महाराष्ट्र गुजरात आंध्र प्रदेश कर्नाटक मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश मुख्य उत्पादक राज्य है इसके कच्चे फलों को सब्जी बनाने के लिए उपयोग में लिया जाता है केले की वह किस में जो पक जाने पर खाई जाती है वह निम्न है सबसे पहले है dessert banana डेजर्ट बनाना इस प्रजाति के केले का उपयोग खाना बनाने के तौर पर किया जाता है इसे दूसरे नाम से भी जाना जाता है कुकिंग बनाना केले के फलों का उपयोग चॉकलेट बनाने चिप्स रवेदार चूर्ण जेली पेक्टिन मार्मलेड माय सी क्रीम ST आदि बनाने में किया जाता है यह अर्ध उष्णकटिबंधीय का पौधा है इस इसका प्रवर्धन शॉर्टकट्स द्वारा किया जाता है 1 साल में एक ही बार यह पौधा फल देता है जब इस के नए जड़ों से शक्कर निकल आते हैं तो उन शहरों को निकालकर नए जगह पर प्लांटेशन किया जाता है जिससे हमें एक नई फसल या नया पौधा प्राप्त होता है आजकल की बायो टेक्निकल की बदौलत हमें इस की किस्मों में सुधार मिले हैं जोकि किसानों के लिए लाभप्रद है बायो टेक्निकल इंजीनियरिंग के अंदर इन पौधों के जींस में परिवर्तन किया गया जिससे हमें कम समय में और कम खर्च में अधिक पैदावार प्राप्त हुई और ऐसे ही किसानों का विकास हुआ जो कि किसानों को लाभ पहुंचाती है इसमें से एक केले का वजन इतना ज्यादा था कि वह किसानों को ज्यादा लाभ पहुंचा रहा है आइए जानते हैं इसमें से एक किस्म जिसका नाम है पवन इसकी बागवानी बहुत बड़े स्तर पर की जाती है की जा रही है इस किस्म के पौधे रोग सहिष्णु तथा अधिक उपज देने वाले पौधे फलों का रंग हल्का पीला फल छोटे छिलका पतला तथा गुदा कुछ खट्टा खटास नहीं होता है फलों की भंडार क्षमता अधिक होती है इसके 1 बच्चे का वजन 15 किलोग्राम होता है इस किस्म में पनामा वर्णित लानी रोग नहीं लगते दूसरे किस्म के बारे में जानते हैं रोबस्टा इस किस्म के होते तो पॉइंट 2 पॉइंट 5 मीटर ऊंचाई के होते हैं फलों का गूदा मीठा मुलायम मक्खन जैसा सफेद होता है फलों की भंडारण क्षमता कम होती है इसके पौधे पनामा रोग के प्रति रोग रोधी नहीं है 12 माह में पककर तैयार हो जाती है