"पंचशील (बौद्ध आचार)": अवतरणों में अंतर
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भगवान बुद्ध द्वारा अपने अनुयायिओं को दिया गया है यह पंचशील।
हिन्दी में इसका भाव निम्नवत है-
1. हिंसा न करना,
2. चोरी न करना,
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1- पाणातिपाता वेरमणी-सिक्खापदं समादयामि।।
2- अदिन्नादाना वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।।
3- कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।।
4- मुसावादा वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।।
5- सुरा-मेरय-मज्ज-पमादठ्ठाना वेरमणी- सिक्खापदं समादयामि।।
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