"वेश्यावृत्ति": अवतरणों में अंतर

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=== रोम ===
[[रोम|रोमवासियों]] के दृष्टिकोण में यहूदियों के जातीय गौरव एवं मिस्रवासियों के सार्वजनिक शिष्टाचार का सम्यक् समावेश था। समाज में स्त्रियों की प्रतिष्ठा थी। वेश्याओं के लिए पंजीकरण आवश्यक था। उन्हें राजकीय कर देना पड़ता था तथा भिन्न परिधान धारणा करना पड़ता था। वेश्यालयों पर राजकीय नियंत्रण था और वेश्यागमन को निंद्य माना जाता था। एक बार वेश्यावृत्ति अपनाने के पश्चात् इस व्यवसाय को सदा के लिए त्याग देने अथवा विवाहित हो जाने पर भी किसी स्त्री का पंजीयन समाप्त नहीं हो सकता था। ईसाई धर्म की स्थापना एवं प्रसार के पश्चात् इन समस्या के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाया गया। ईसाइयों ने वेश्याओं के पुनरुद्धार और समाज में पुन: प्रतिष्ठा हेतु प्रयास किया। सम्राट् जस्टिनियम की महिषी थियोडोरा ने, जो स्वयं वेश्या का जीवन व्यतीत कर चुकी थी, पतिता स्त्रियों के लिए एक सुधारगृह की स्थापना की। वेश्यालयों का संचालन दंडनीय था। आज पूरा विश्व इस गंदगी से परेशान है
 
=== प्राचीन भारत ===