"ख़िलजी वंश": अवतरणों में अंतर

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== ख़िलजी ==
Pata nahi ख़िलजी कौन थे? इस विषय में पर्याप्त विवाद है। इतिहासकार 'निज़ामुद्दीन अहमद' ने ख़िलजी को चंगेज़ ख़ाँ का दामाद और कुलीन ख़ाँ का वंशज, 'बरनी' ने उसे तुर्कों से अलग एवं 'फ़खरुद्दीन' ने ख़िलजियों को तुर्कों की 64 जातियों में से एक बताया है। फ़खरुद्दीन के मत का अधिकांश विद्वानों ने समर्थन किया है। चूंकि भारत आने से पूर्व ही यह जाति अफ़ग़ानिस्तान के हेलमन्द नदी के तटीय क्षेत्रों के उन भागों में रहती थी, जिसे ख़िलजी के नाम से जाना जाता था। सम्भवतः इसीलिए इस जाति को ख़िलजी कहा गया। मामलूक अथवा ग़ुलाम वंश के अन्तिम सुल्तान शमसुद्दीन क्यूमर्स की हत्या के बाद ही जलालुद्दीन फ़िरोज ख़िलजी सिंहासन पर बैठा था, इसलिए इतिहास में ख़िलजी वंश की स्थापना को ख़िलजी क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। ख़िलजी क्रांति केवल इसलिए महत्त्वपूर्ण नहीं है कि, उसने ग़ुलाम वंश को समाप्त कर नवीन ख़िलजी वंश की स्थापना की, बल्कि इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि, ख़िलजी क्रांति के परिणामस्वरूप् दिल्ली सल्तनत का सदूर दक्षिण तक विस्तार हुआ। जातिवाद में कमी आई और साथ ही यह धारणा भी खत्म हुई कि, शासन केवल विशिष्टि वर्ग का व्यक्ति ही कर सकता है।
 
== ख़िलजी युग ==