"संगठन": अवतरणों में अंतर
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'''संगठन''' (organisation) वह सामाजिक व्यवस्था या युक्ति है जिसका लक्ष्य एक होता है, जो अपने कार्यों की समीक्षा करते हुए स्वयं का नियन्त्रण करती है, तथा अपने पर्यावरण से जिसकी अलग सीमा होती है। संगठन तरह-तरह के हो सकते हैं - सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सैनिक, व्यावसायिक, वैज्ञानिक आदि।
== परिचय ==राष्ट्रीय समाजिक संगठन एक स्वयंसेवी एवं समुदायिक प्रकृति निर्मित प्राणियों एवं मानव सेवा संगठन है। स्थापना 22-022-2014ई, प्रधान कार्यलय c.n nagar=चतुरा नंद नगर नाथपुर ,नरपतगंज अररिया बिहार राष्ट्रीय अध्यक्ष व संथापक सोशल वैज्ञानिक सह-समाज सुधारक सर्व श्री शशीभूषण गाँधी राष्ट्रीय समाजिक सगठन की परिभाषा:-
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी एक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्यशील होते हैं तो स्मपूंर्ण भारत में राष्ट्रीय के लिए आपसी भाई चारा सद्भावना राष्ट्रीय एकता शांति स्थापित करना व शिक्षा,राष्ट्र की शिक्षा के छेत्रों तकनीकी बिकास,और देश में बहुत दिनों से पनप रहे भ्रष्ट चार्य को नष्ट करना और देश की बिकास को पिछड़े समाज के लिए देश की मुख धारा से जोड़ना ,जाती प्रथा,समाजिक बुराइयां दहेज प्रथा,बाल मजदूरी को नष्ट करना,व सम्पदिक शक्ति को समाप्त करना,और भारत देश समृद्ध व विश्व में एक अनोखी शक्तिशाली राष्ट्र को बना ही राष्ट्रीय समाजिक संगठन की मुख परिभाषा है।
संगठन की आवश्यकता पड़ती है। उद्देश्य के अल्पकालीन होने से संगठन की आवश्यकता में कमी नहीं
आती। यदि कुछ व्यक्तियों को मिलकर भारी वजन उठाना हो तो इस क्षणिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए
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के द्वारा ही उपक्रम की योजनाओं एवं आवश्यकताओं को साकार किया जा सकता है। एक सुदृढ़ संगठन
व्यवसाय की प्रत्येक समस्या का उत्तर है।
राष्ट्रीय समाजिक संगठन:-
=== अर्थ एवं समाजिक एकता स्थपित करने की परिभाषा===
मनुष्य के लक्ष्यों की प्राप्ति का आधार संगठन ही है। संगठन कार्यों, साधनों एवं संबंधों की एक
औपचारिक अवस्था है जिसके द्वारा प्रबन्ध अपना कार्य सम्पन्न करता है। जब दो या अधिक व्यक्ति
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जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं तो उनके बीच
स्थापित संबंधों एवं अन्तःक्रियाओं की संरचना को 'राष्ट्रीय समाजिक संगठन' कहते हैं।
== महत्त्व ==
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