"लोधेश्वर महादेव मंदिर": अवतरणों में अंतर

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==पौराणिक महत्व ==
इस लोधेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना [[पांडव|पांडवो]] ने अज्ञातवास के दौरान की थी,थी। फाल्गुन का मेला यहाँ खास अहमियत रखता है,है। पूरे देश से लाखोलाखों श्रद्धालू यहाँ कावर लेकर शिव रात्रि[[शिवरात्रि]] या शिरात्रि से पूर्व पहुचपहुँच कर [[शिवलिंग]] पर जल चढाते हैं,हैं। माना जाता है की [[वेद व्यास]] मुनि की प्रेरणा से पांडवो ने रूद्र महायज्ञ का आयोजन किया और तत्कालीन गंडक इस समय [[घाघरा नदी]] के किनारे कुल्छात्तर नमक जगह पर इस यज्ञ का आयोजन किया गया,किया। महादेवा से २ किलोमीटर उत्तर, नदी के पास आज भी कुल्छात्तर में यज्ञ कुंड के प्राचीन निशान मौजूद हैंहैं। उसी दौरान इस [[शिवलिंग]] की स्थापना [[पांडव|पांडवो]] ने की थीथी।
 
{{stack|[[File:Holy Pond at Lodheshwar Mahadeva.jpg|thumb|लोधेश्वर महादेव मंदिर का स्नान कुण्ड]]}}