"संगठन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
छो Rashtriya samajik sangthan (Talk) के संपादनों को हटाकर स के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 3:
'''संगठन''' (organisation) वह सामाजिक व्यवस्था या युक्ति है जिसका लक्ष्य एक होता है, जो अपने कार्यों की समीक्षा करते हुए स्वयं का नियन्त्रण करती है, तथा अपने पर्यावरण से जिसकी अलग सीमा होती है। संगठन तरह-तरह के हो सकते हैं - सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सैनिक, व्यावसायिक, वैज्ञानिक आदि।
== परिचय ==
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी एक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्यशील होते हैं तो
संगठन की आवश्यकता पड़ती है। उद्देश्य के अल्पकालीन होने से संगठन की आवश्यकता में कमी नहीं
आती। यदि कुछ व्यक्तियों को मिलकर भारी वजन उठाना हो तो इस क्षणिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए
पंक्ति 17:
के द्वारा ही उपक्रम की योजनाओं एवं आवश्यकताओं को साकार किया जा सकता है। एक सुदृढ़ संगठन
व्यवसाय की प्रत्येक समस्या का उत्तर है।
=== अर्थ एवं
मनुष्य के लक्ष्यों की प्राप्ति का आधार संगठन ही है। संगठन कार्यों, साधनों एवं संबंधों की एक
औपचारिक अवस्था है जिसके द्वारा प्रबन्ध अपना कार्य सम्पन्न करता है। जब दो या अधिक व्यक्ति
पंक्ति 28:
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं तो उनके बीच
स्थापित संबंधों एवं अन्तःक्रियाओं की संरचना को '
== महत्त्व ==
संगठन, प्रबन्ध अध्ययन का एक उत्तेजक एवं चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है। व्यवसाय में ही नहीं, बल्कि प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का आधार सुदृढ़ संगठन एवं समन्वय व्यवस्था ही है। आज मनुष्य की सभी क्रियाएँ संगठन के अन्दर ही होती है। संगठन के बिना मानव जीवन की कोई भी क्रिया व्यवस्थित रूप से नहीं चल सकती है। हम संगठन में ही जन्म लेते हैं, शिक्षा प्राप्त करते हैं तथा हममें से अधिकांश लोग संगठन में ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं। संगठन के बिना प्रबन्ध वैसे ही प्रभावहीन है जैसे बिना आत्मा के शरीर।
|