"हिन्दी व्याकरण का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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जार्ज हेडली (Hadley) का व्याकरण सन् 1772 में लंदन से प्रकाशित हुआ। इसके तरन्त बाद इससे बेहतर व्याकरण प्रकाशित हुए, जैसे - किसी अज्ञात लेखक का पोर्तुगीज़ भाषा में Gramatica Indostana रोम से 1778 में, जो हेडली के व्याकरण की अपेक्षा बहुत विकसित था। कलकत्ते के फोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दुस्तानी विभाग के अध्यक्ष डॉ॰ जॉन बॉर्थविक गिलक्राइस्ट का "A Grammar of the Hindoostanee Language" सन् 1796 में प्रकाशित हुआ। यह व्याकरण उनके "A System of Hindoostanee Philology", खंड-1 का तीसरा भाग था।
 
== सिपाहीप्रथम विद्रोहस्वतंत्रता संग्राम (1857) के पूर्व उन्नीसवीं शताब्दी के हिन्दी व्याकरण ==
 
इस अवधि में प्रकाशित व्याकरणों की विस्तृत सूची ग्रियर्सन ने Languistic Survey of India, Vol. IX, Part 1 में दी है। यहाँ कुछ व्याकरणों का ही उल्लेख किया जायेगा। सन् 1801 में हेरासिम लेबेदेफ़ द्वारा लिखित "A Grammar of the pure and mixed East Indian Dialects" लंदन से प्रकाशित हुआ। 17 इसमें लेखक ने अपनी जीवनी भी दी है। 'प्रेमसागर' के रचयिता लल्लू लाल का ब्रज भाखा व्याकरण सन् 1811 में कलकत्ते से प्रकाशित हुआ। जॉन शेक्सपियर का "A Grammar of the Hindustani Language" लंदन से 1813 में छपा (पाँचवा संस्करण 1846 में और बाद में 1858 में) कैप्टन विलियम प्राइस का "A new Grammar of the Hindustani Language" लंदन से 1827 में प्रकाशित हुआ। विलियम याटेस का "Introduction to the Hindustani Language" कलकत्ते से 1827 में छपा, जिसका छठा संस्करण 1855 में प्रकाशित हुआ। इसका 1836 का संस्करण डेक्कन कॉलेज, पुणे के पुस्तकालय में उपलब्ध है। इसकी भूमिका में लेखक का कहना है कि हिन्दुस्तानी मुस्लिम लोगों की भाषा है, जबकि हिन्दी हिन्दुओं की। रेवरेंड एम टी ऐडम का "हिन्दी भाषा का व्याकरण" कलकत्ते से 1827 में प्रकाशित हुआ। यह व्याकरण प्रश्न एवं उत्तर के रूप में बच्चों के लिए लिखा गया था। यह पुस्तक कई वर्षों तक स्कूलों में प्रचलित रही।