"नामदेव": अवतरणों में अंतर

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आपने तीन बार तीर्थ यात्राएं की व साधु संतो के साथ भ्रमण करते रहे। ज्यों ज्यों आपकी आयु बढती गई, त्यों त्यों आपका यश फैलता गया। आपने दक्षिण में बहुत प्रचार किया। आपके साथी संत ज्ञानेश्वर जी परलोक गमन कर गए तो आप भी कुछ उपराम रहने लग गए। जीवन के अंतिम दिनों में श्री नामदेवजी पुनः पंढरपुर आ गए और 3 जुलाई सन 1350 शनिवार को सपरिवार '''"संजीवन समाधी"''' लेकर मोक्ष प्राप्त किया। आज भी उनके भक्त इस दिन को '''"श्री नामदेव समाधि दिवस"''' के रूप में याद करके अपने को धन्य समझते है। उन्होंने समाधि भी श्री विट्ठल भगवन के मंदिर में जाने वाली सीढ़ियों (जिसे मराठी में "पायरी" कहते है) में ली। उनकी अंतिम इच्छा भी यही थी की श्री हरि विट्ठल के दर्शनार्थ जो भी भक्त मंदिर में प्रवेश करे तब उनकी रज कण मेरे माथे पर पड़े और वो श्री विट्ठल के दर्शन करे . आज भी वो स्थान '''"श्री नामदेव पायरी"''' के नाम से जाना जाता है।
 
== साहित्यक देनदेनsant na ==
== sahitik mahiti Savistar ==
नामदेव जी ने जो बाणी उच्चारण की वह गुरुग्रंथ साहिब में भी मिलती है। बहुत सारी वाणी दक्षिण वt महाराष्ट्र में गाई जाती है। आपकी वाणी पढ़ने से मन को शांति मिलती है व भक्ति की तरफ मन लगता है।
 
== ठाकुर को दूध पिलाना ==