"तुकोजी होल्कर": अवतरणों में अंतर

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तुकोजी होलकर के चार पुत्र थे, परंतु ये सभी मदिरा-व्यसनी और नीच प्रकृति के थे। मदिरापान करके उन्मुक्त होकर चिल्लाते हुए ये एक दूसरे के गले पकड़ लेते थे। सन् 1791 में महादजी ने अपना उत्तर भारतीय कार्य सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया तथा सफलता एवं वैभव के शिखर पर आसीन होकर दक्षिण लौटे। होल्कर के उपभोग के लिए कोई वास्तविक सत्ता या कार्यक्षेत्र रह नहीं गया था। इससे तुकोजी होलकर के साथ अहिल्याबाई भी काफी निराश हुई तथा महादजी के प्रति ये दोनों ईर्ष्या-ग्रस्त हो गये।<ref>मराठों का नवीन इतिहास, भाग-3, पूर्ववत्, पृ०-218.</ref>
 
अगस्त 1790 में महादजी ने मथुरा में विधिपूर्वक उस शाही फरमान को ग्रहण करने के लिए उत्सव किया, जिसके द्वारा वे साम्राज्य के सर्व सत्ता प्राप्त एकमात्र राज्य प्रतिनिधि नियुक्त किये गय थे। भव्य दरबार का प्रबंध किया गया था। तुकोजी को छोड़कर इस दरबार में समस्त सामंत उपस्थित हुए। तुकोजी ने इस दरबार में भाग लेना अस्वीकार कर के एक प्रकार से महादजी का सार्वजनिक अपमान किया था।<ref>मराठों का नवीन इतिहास, भाग-3, पूर्ववत्, पृ०-252.</ref>
 
== पराभव का आरम्भ ==