"तुकोजी होल्कर": अवतरणों में अंतर

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== निराशापूर्ण अन्त ==
उक्त घटना के बाद तुकोजी प्रायः शांत रहा। 1795 में निजाम के विरुद्ध मराठों के खरडा के युद्ध में अत्यंत वृद्धावस्था में उसने भाग लिया था। 1795 ई० में अहिल्याबाई का देहान्त हो जाने पर तुकोजी ने इंदौर का राज्याधिकार ग्रहण किया।<ref>[[हिंदी विश्वकोश]], खण्ड-5, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण-1965ई०, पृष्ठ-395.</ref> अपनी अंतिम अवस्था में तुकोजी [[पुणे]] में ही रहा। अपने अविनीत पुत्रों तथा विभक्त परिवार का नियंत्रण करने में वह असमर्थ रहा। 15 अगस्त 1797 को पुणे में ही तुकोजी का निधन हो गया।<ref>मराठों का नवीन इतिहास, भाग-3, पूर्ववत्, पृ०-339.</ref>
 
==इन्हें भी देखें==