"बिस्मिल्ला ख़ाँ": अवतरणों में अंतर

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उस्ताद का निकाह 16 साल की उम्र में मुग्गन ख़ानम के साथ हुआ जो उनके मामू सादिक अली की दूसरी बेटी थी। उनसे उन्हें 9 संताने हुई। वे हमेशा एक बेहतर पति साबित हुए। वे अपनी बेगम से बेहद प्यार करते थे। लेकिन शहनाई को भी अपनी दूसरी बेगम कहते थे। 66 लोगों का परिवार था जिसका वे भरण पोषण करते थे और अपने घर को कई बार बिस्मिल्लाह होटल भी कहते थे। लगातार 30-35 सालो तक साधना, छह घंटे का रोज रियाज उनकी दिनचर्या में शामिल था। अलीबख्श मामू के निधन के बाद खां साहब ने अकेले ही 60 साल तक इस साज को बुलंदियों तक पहुंचाया ।
 
== सांझी संस्कृति के प्रतीक ==
== धार्मिक विश्वास ==
यद्यपि बिस्मिल्ला खाँ [[शिया इस्लाम|शिया]] मुसलमान थे फिर भी वे अन्य हिन्दुस्तानी संगीतकारों की भाँति धार्मिक रीति रिवाजों के प्रबल पक्षधर थे और [[हिन्दू]]बाबा देवी-देवताविश्वनाथ की नगरी के बिस्मिल्लाह खां एक अजीब किंतु अनुकरणीय अर्थ में कोईधार्मिक थे। मुहर्रम पर वे अपनी खास चांदी की शहनाई बजाते हुए मातमी जुलूस के आगे चलते थे तो हर मंदिर में उन्होंने अपने वाद्य से ईश आराधना ही नहीं की, बनारस छोडऩे बनारस छोडऩे के ख्याल से ही इस कारण व्यथित होते थे कि गंगाजी और काशी विश्वनाथ से दूर कैसे रह सकता फ़र्IFFUBK1>{{citeथा। web
धर्म कुछ नहीं है, आप जिसे धर्म कहते हैं मेरे लिए वह संगीत ही है। वे सही मायने में हमारी साझी संस्कृति के सशक्त प्रतीक थे।
[[हिन्दू]]IFFUBK1>{{cite web
|title = Rediff Slides on Ustad Bismillah Khan |url=http://specials.rediff.com/news/2006/aug/21sld3.htm
|accessdate=2006-08-21