"लोक प्रशासन की प्रकृति": अवतरणों में अंतर
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इस विचार के समर्थक केवल उन्हीं लोगों के कार्यों को प्रशासन मानते हैं जो किसी उद्यम सम्बन्धी कार्यों को पूरा करते हैं। प्रबन्धकीय कार्य का लक्ष्य उद्यम की सभी क्रियाओं का एकीकरण, नियन्त्रण तथा समन्वय करना होता है जिससे सभी क्रियाकलाप एक समन्वित प्रयत्न (Co-ordinated Effort) जैसे दिखाई देते हैं।
इन दोनों विचारों में कई पहलुओं से भिन्नता पाई जाती है। एकीकृत विचार में प्रशासन से सम्बन्धित सभी व्यक्तियों के कार्य शामिल हैं, जबकि प्रबन्धकीय विचार प्रशासन को केवल कुछ एक ऊपर के व्यक्तियों के कार्यों तक ही सीमित करता है। दूसरे शब्दों में एकीकृत दृष्टिकोण में प्रबन्धकीय, तकनीकी तथा गैर-तकनीकी सब प्रकार की गतिविधियां शामिल हैं जब कि प्रबन्धकीय दृष्टिकोण अपने आप को एक संगठन के प्रबन्धकीय कार्यों तक ही सीमित रखता है। एकीकृत दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन सरकार की तीनों शाखाओं-कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका से सम्बन्धित है। परन्तु प्रबन्धकीय दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध केवल कार्यपालिका कार्यों से है। इन दोनों विचारों में से किसी की भी पूर्णतः उपेक्षा नहीं की जा सकती। प्रशासन का ठीक अर्थ तो उस प्रसंग पर निर्भर करता है जिस संदर्भ में शब्द का प्रयोग किया जाता है।
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