"बिस्मिल्ला ख़ाँ": अवतरणों में अंतर
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यद्यपि बिस्मिल्ला खाँ [[शिया इस्लाम|शिया]] मुसलमान थे फिर भी वे अन्य हिन्दुस्तानी संगीतकारों की भाँति धार्मिक रीति रिवाजों के प्रबल पक्षधर थे । बाबा विश्वनाथ की नगरी के बिस्मिल्लाह खां एक अजीब किंतु अनुकरणीय अर्थ में धार्मिक थे। मुहर्रम पर वे अपनी खास चांदी की शहनाई बजाते हुए मातमी जुलूस के आगे चलते थे तो हर मंदिर में उन्होंने अपने वाद्य से ईश आराधना ही नहीं की, बनारस छोडऩे बनारस छोडऩे के ख्याल से ही इस कारण व्यथित होते थे कि गंगाजी और काशी विश्वनाथ से दूर कैसे रह सकता था।
धर्म कुछ नहीं है, आप जिसे धर्म कहते हैं मेरे लिए वह संगीत ही है। वे सही मायने में हमारी साझी संस्कृति के सशक्त प्रतीक थे।
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▲}}</ref> वे [[काशी]] के बाबा विश्वनाथ मन्दिर में जाकर तो शहनाई बजाते ही थे इसके अलावा वे [[गंगा]] किनारे बैठकर घण्टों रियाज भी किया करते थे। उनकी अपनी मान्यता थी कि उनके ऐसा करने से गंगा मइया प्रसन्न होती हैं।<ref name=BBCUBK1>{{cite news
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== सन्दर्भ ==
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