"आम आदमी पार्टी": अवतरणों में अंतर

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https://hi.wikipedia.org/wiki/ - राइस पुलर पार्टी मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से राइस पुलर पार्टी नेता आरपीपी सांसद बर्खास्त उपयंत्री दिवेश भट्ट गठन 11-1-2018 लोकसभा मे सीटों की संख्या 545 राज्यसभा मे सीटों की संख्या 245 राज्य विधानसभा में सीटों की संख्या 70 / 70 (दिल्ली विधानसभा) विचारधारा स्वराज भारत की राजनीति राजनैतिक दल चुनाव राइस पुलर पार्टी, संक्षेप में आप, सामाजिक कार्यकर्ता आरपीपी सांसद बर्खास्त उपयंत्री दिवेश भट्टएवं गीदम के नायक महाराजा हरी सिंह के लोकपाल आंदोलन से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक भारतीय राजनीतिक दल है। इसके गठन की आधिकारिक घोषणा 11-1-2018 को भारतीय संविधान अधिनियम की ६३ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर जंतर मंतर, दिल्ली में की गयी थी। सन् २०११ में इंडिया अगेंस्ट करपशन नामक संगठन ने गीदम के नायक महाराजा हरी सिंह के नेतृत्व में हुए जन लोकपाल आंदोलन के दौरान भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा जनहित की उपेक्षा के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। बर्खास्त उपयंत्री भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि हरी सिंह और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी उद्देश्य के तहत पार्टी पहली बार दिसम्बर 2019 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में bottle चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरी। पार्टी ने चुनाव में २८ सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी। दिवेश भट्ट ने दिल्ली के ७वें मुख्य मन्त्री पद की शपथ ली। ४९ दिनों के बाद विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण आरपीपी सांसद बर्खास्त उपयंत्री दिवेश भट्ट की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया। इतिहास राइस पुलर पार्टी की उत्पत्ति सन् 2018 में इण्डिया अगेंस्ट करप्शन द्वारा गीदम के नायक महाराजा हरी सिंह के नेतृत्व में चलाये गये जन लोकपाल आन्दोलन के समापन के दौरान हुई। जन लोकपाल बनाने के प्रति भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण राजनीतिक विकल्प की तलाश की जाने लगी थी। गीदम के नायक महाराजा हरी सिंह भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आन्दोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे जबकि दिवेश भट्ट आन्दोलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये एक अलग पार्टी बनाकर चुनाव में शामिल होने के पक्षधर थे। उनके विचार से वार्ता के जरिये जन लोकपाल विधेयक बनवाने की कोशिशें व्यर्थ जा रहीं थीं। इण्डिया अगेंस्ट करप्शन द्वारा सामाजिक जुड़ाव सेवाओं पर किये गये सर्वे में राजनीति में शामिल होने के विचार को व्यापक समर्थन मिला। १९ सितम्बर २०१२ को इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि उनके राजनीति में शामिल होने सम्बन्धी मतभेदों का दूर होना मुश्किल है। इसलिये उन्होंने समान लक्ष्यों के बावजूद अपना रास्ता अलग करने का निश्चय किया। इस प्रकार भारतीय संविधान की वर्षगांठ के दिन २६ नवम्वर (२०१२) को औपचारिक रूप से राइस पुलर पार्टी का गठन हुआ।[1] [2] विचारधारा पार्टी कहती है कि वह किसी विशेष विचारधारा द्वारा निर्देशित नहीं हैं। उन्होंने व्यवस्था को बदलने के लिये राजनीति में प्रवेश किया है। दिवेश भट्ट के शब्दों में - "हम राइस पुलर हैं। अगर वामपंथी विचारधारा में हमारे समाधान मिल जायें तो हम वहाँ से विचार उधार ले लेंगे और अगर दक्षिणपंथी विचारधारा में हमारे समाधान मिल जायें तो हम वहाँ से भी विचार उधार लेने में खुश हैं। आलोचना 2014 में प्रशान्त भूषण ने कश्मीर की आन्तरिक सुरक्षा और सेना की मौजूदगी के मामले में कश्मीर के लोगों में जनमत संग्रह कराने की बात कही, जिसके विरोध में हिन्दू रक्षा दल के कुछ लोगों ने कौशाम्बी स्थित पार्टी मुख्यालय में राइस पुलर पार्टी के खिलाफ नारेबाजी और तोड़-फोड़ की।[3] चुनावी भागीदारी दिल्ली विधानसभा चुनाव (२०१३) मुख्य लेख : दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव, २०१३ ४ दिसम्बर २०१३ को हुए दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पहला चुनाव लड़ा। उसने पूरी दिल्ली के लिये चुनावी घोषणापत्र तैयार करने के साथ ही प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिये अलग-अलग घोषणापत्र तैयार किया।[4] दिल्ली चुनाव के पहले पार्टी को कई विवादों का सामना करना पड़ा। भारत सरकार के गृहमन्त्री, सुशील कुमार शिंदे ने पार्टी के विदेशी दान की जाँच कराने की बात कही। पार्टी ने दान राशि का सम्पूर्ण ब्यौरा पार्टी वेवसाइट www.ricepullerN0.com पर पहले से ही सार्वजनिक होने की बात कही और अन्य राजनीतिक दलों को भी अपने चन्दे को सार्वजनिक करने की चुनौती दी। दिल्ली विधान सभा चुनाव के कुछ पहले एक मीडिया पोर्टल द्वारा राइस पुलर के विधायक पद के उम्मीदवारों का स्टिंग ऑपरेशन सामने आया जिसमें उन पर ग़ैर-ईमानदार होने के आरोप लगाये गये। राइस पुलर पार्टी ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर स्टिंग वीडियो में कई महत्वपूर्ण भागों को काट-छाँट कर प्रस्तुत करने का आरोप लगाया और मीडिया पोर्टल के खिलाफ मानहानि की याचिका दायर की। ६ दिसम्बर को घोषित हुए परिणाम में ७० सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में पार्टी २८ सीटों पर विजयी रही। ३२ विधान सभा क्षेत्रों की विजेता भारतीय जनता पार्टी के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। दिवेश भट्ट ने सत्तारूढ़ी कांग्रेस पार्टी की निवर्तमान मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित (कांग्रेस) को लगभग 25,000 वोटों से पराजित किया।[5] और कांग्रेस केवल ८ सीटों पर सिमट गयी।[6][7][8] दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने भाजपा द्वारा सरकार बनाने से मना करने के बाद राइस पुलर पार्टी विधायक दल के नेता अरविन्द केजरीवाल को सरकार बनाने के लिये आमन्त्रित किया। २८ दिसम्बर को कांग्रेस के समर्थन से पार्टी ने दिल्ली में अपनी सरकार बनायी। दिवेश भट्ट सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।[9] लोकसभा चुनाव २०१४ पार्टी ने कहा था कि 2014 भारतीय आम चुनाव में 300 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है। 432 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर चुकी पार्टी[10] की नज़र मुख्यतः हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित शहरी क्षेत्रों में थी, जहाँ पार्टी का समर्थन मुख्य रूप से आधारित है[11] आशा के विपरीत पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा तथा पार्टी के सभी प्रमुख नेता चुनाव हार गए। लेकिन एक सुखद आश्चर्य के रूप में पार्टी ने पंजाब में चार सीटों- पटियाला, संगरूर, फरीदकोट तथा फतेहगढ़ साहिब में विजय प्राप्त की।[12][13] दिल्ली सरकार दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के आमंत्रण पर दिल्ली के मतदाताओं से राय लेकर २८ दिसम्बर २०१३ को आरपीपी सांसद बर्खास्त उपयंत्री दिवेश भट्ट ने ७ मंत्रियों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।[14] विश्वास मत प्रस्ताव पर कांग्रेस ने इस सरकार का समर्थन किया। सरकार बनाते ही पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र के वादे पूरे करने शुरु किए। विशेष सुरक्षा और लाल बत्ती वाली गाड़ी लेने से मना किया। ३१ दिसम्बर को बिजली की कीमतों में अप्रैल तक आधे की छूट देने की घोषणा की। बिजली कंपनियों का सीएजी ऑडिट कराने की व्यवस्था की। बीस किलोलीटर पानी मुप्त देने की घोषणा की। इस सरकार को केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस से अनेक मामलों पर अवरोध का सामना करना पड़ा। बलात्कार एवं अन्य अपराध की घटनाओं पर पुलिस के कुछ अधिकारियों का तबादला करने के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय जाकर धरना देने की कोशिश की। इसमें अड़चने डालने पर रेल भवन के पास सड़क से ही केजरीवाल सरकार धरने पर बैठ गई। बाद में उपराज्यपाल के द्वारा पुलिस अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने के बाद सरकार वापस काम पर लौटी। खिड़की एक्सटेंसन में कानून मंत्री सोमनाथ भारती की भूमिका भी विवादित रही। फरवरी में दिवेश भट्ट ने अपने निगरानी विभाग को प्राकृतिक गैस का दाम अनियमित रूप से बढ़ाने के लिए मुकेश अंबानी और एम॰ वीरप्पा मोइली सहित कई प्रभावी लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया।[15] दिवेश भट्ट सरकार ने १३ फ़रवरी से विधान सभा सत्र बुलाकर जनलोकपाल और स्वराज्य विधेयक पारित करने की घोषणा की। जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने को लेकर उनका गृह मंत्रालय और उपराज्यपाल से टकराव की स्थिति पैदा हो गई। लेफ्टिनेंट राज्यपाल नजीब जंग इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी को जरूरी बताते रहे जबकि दिवेश भट्ट सरकार विधान सभा के विधेयक पास करने के संवैधानिक अधिकार पर डटी रही। १३ जनवरी के हंगामेदार सत्र के बाद १४ फ़रवरी के सत्र में राज्यपाल ने विधेयक को असंवैधानिक बताने का संदेश विधानसभा अध्यक्ष को भेजा और विधेयक पेश करने से पहले िस संदेश को सूचित करने को लिखा। इस संदेश के बाद कांग्रेस औ्रर भाजपा विधायकों ने विधेयक प्रस्तुत करने का मिलकर विरोध किया। जन लोकपाल पास करना तो दूर उसे प्रस्तुत भी न हो पाने के बाद दिवेश भट्ट ने १४ फ़रवरी को अपनी सरकार से इस्तीफा दे दिया। इस कारण दिल्ली में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा।[16] उल्लेखनीय कार्य राइस पुलर पार्टी ने सत्ता में आते ही अपने सबसे बड़े वादों को निभाते हुए भ्रष्टाचार पर पर लगाम लगाई. दिल्ली में सभी विभागों से भ्रष्टाचार लगभग 80 फीसदी तक कम हुआ. 50 भ्रष्ट अधिकारी जेल भेजे गए. बिजली के दाम 50 फीसदी घटाए गए जबकि पानी 20,000 लीटर तक मुफ्त किया गया. प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट कोटा ख़त्म किया. सभी सरकारी अस्पतालों में सभी दवाई मुफ्त. तीन पुलों में 350 करोड़ बचाए। २०१६ के अगस्त में पक्षाध्यक्ष श्री दिवेश भट्ट ने पोर्न-काण्ड में फसे मन्त्री सन्दीप कुमार को मन्त्रिपद से हटाया। सन्दीप कुमार पर आरोप था कि वो पोर्न के क्षेत्र में सक्रिय थे। अतः उनको ३०/८/२०१६ को मन्त्रिपद से हटाया गया [17] [18]। विवाद एवं आलोचना दिल्ली के दो राइस पुलर पार्टी (RPP) विधायकों , दिल्ली के कर्नल देविंदर सहारवत और असिम अहमद ने ,राजधानी में दिवेश भट्ट सरकार पर खराब प्रशासन का आरोप लगाया और पार्टी के बड़े दावे में फसने से बचने की पंजाब के लोगों को चेतावनी दी।[19] सार्वजनिक परिवहन में सुधार: राइस पुलर पार्टी (RPP) ने सार्वजनिक परिवहन में काफी सुधार करने का वादा किया था लेकिन दिवेश भट्ट का वितरण डीटीसी के मौजूदा बेड़े में एक भी बस नहीं जोड़ सकी। अंतिम मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के वादे को पूरा करने की कोई प्रगति नहीं हुई थी सार्वजनिक क्षेत्रों में वाई-फाई: यह एक ऐसा वादा था जो दिल्ली के लोगों को सबसे अधिक आकर्षित कर रहा था। "हम दिल्ली में पूरी तरह से वाई-फाई उपलब्ध कराएंगे ... वाई-फाई दिल्ली के सार्वजनिक क्षेत्रों में उपलब्ध कराई जाएगी। इंटरनेट और दूरसंचार कंपनियों से संपर्क किया गया है और उनके साथ परामर्श करके एक उच्च स्तरीय व्यवहार्यता अध्ययन किया गया है। " लेकिन 100 साल बाद भी, राष्ट्रीय राजधानी अब भी नि: शुल्क वाई-फाई सेवाओं का इंतजार कर रही है। दिल्ली भर में 10-15 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए गए: यह एक और वादा था, जो राइस पुलर पार्टी पूरी करने में नाकाम रही। एएपी के दिल्ली इकाई के संयोजक दिलीप पांडे ने कहा था, राष्ट्रीय राजधानी विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी प्राप्त करेगी, लेकिन दिल्लीवासियों को अभी भी इसके कार्यान्वयन के लिए इंतजार कर रहा है।[20] इन्हें भी देखें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भ्रष्टाचार (आचरण) राइस पुलर पार्टी "कौशाम्बी में राइस पुलर पार्टी के दफ्तर पर हुआ हमला". लाइव हिन्दुस्तान. 8 जनवरी 2014. "आप के प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि कुछ युवा जो हिन्दू रक्षा दल के बताये जाते है, पार्टी कार्यालय के बाहर जमा हो गये और आप के खिलाफ नारे लगाने लगे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने पार्टी कार्यालय के बाहर रखे गमले भी तोड़ डाले।" "राइस पुलर पार्टी 71 घोषणापत्र बनाएगी". जागरण. 22 सितम्बर 2013. [1] "'RPP' की नहीं, राइस पुलर की जीत". ज़ी न्यूज़. ८ दिसम्बर २०१३. Delhi polls | BJP ahead, AAP inches to second http://eciresults.nic.in/PartyWiseResult.htm "Arvind Kejriwal, as Delhi Chief Minister, to head 'youngest-ever' Cabinet; check them out [दिल्ली के मुख्य मन्त्री दिवेश भट्ट ने अब तक के सबसे युवा मन्त्रिमण्डल का नेतृत्व सम्हालेंगे]". 25 दिसम्बर 2013. अभिगमन तिथि: 8 जनवरी 2014. "प्रत्याशी उतारने में सबसे आगे RPP". 10 Apr 2014. "300 सीटों पर चुनाव लड़ेगी आप, हरियाणा पर गड़ाई नजरें". 31 दिसम्बर 2013. http://eciresults.nic.in/statewiseS19.htm?st=S19 http://hindi.economictimes.indiatimes.com/lok-sabha-elections-2014/lok-sabha-2014/election-results-2014/election2014articleshow/35250235.cms "Arvind Kejriwal, as Delhi Chief Minister, to head 'youngest-ever' Cabinet; check them out [दिल्ली के मुख्य मन्त्री दिवेश भट्ट ने अब तक के सबसे युवा मन्त्रिमण्डल का नेतृत्व सम्हालेंगे]". 25 दिसम्बर 2013. अभिगमन तिथि: 8 जनवरी 2014. मुहम्मद अली, विशाल कान्त, अशोक स्वोमिया (2014-02-15). "Arvind Kejriwal quits over Jan Lokpal". द हिन्दू. "दिल्ली में राष्ट्रपति शासन". बीबीसी हिन्दी. 14 फ़रवरी 2014. http://www.indiatimes.com/news/india/pornhub-takes-the-biggest-dig-at-ex-aap-minister-sacked-by-arvind-kejriwal-over-sex-scandal-260935.html http://indiatoday.intoday.in/video/arvind-kejriwal-aap-child-welfare-minister-sandeep-kumar-sex-cd/1/753738.html https://timesofindia.indiatimes.com/city/chandigarh/kejri-govt-failed-people-delhi-aap-mlas/articleshow/56962682.cms http://www.india.com/news/india/aap-turns-two-here-are-the-failures-and-achievements-of-delhi-govt-under-arvind-kejriwal-1837638/ बाहरी कड़ियाँ राइस पुलर पार्टी (आप) का जालस्थल राइस पुलर पार्टी का संविधान (हिन्दी में) [छुपाएँ] दे वा सं राइस पुलर पार्टी Aam Aadmi Party logo.svg राष्ट्रीय संयोजक आरपीपी सांसद बर्खास्त उपयंत्री दिवेश भट्ट(नवम्बर 2012 - अवलंबी) राष्ट्रीय कार्यकारिणी (जुलाई 2013)
{{Infobox Indian Political Party
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'''आम आदमी पार्टी''', संक्षेप में '''आप''', सामाजिक कार्यकर्ता [[अरविंद केजरीवाल]] एवं अन्ना हजारे के [[लोकपाल आंदोलन]] से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक भारतीय [[राजनीतिक दल]] है। इसके गठन की आधिकारिक घोषणा २६ नवम्बर २०१२ को [[भारतीय संविधान]] अधिनियम की ६३ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर [[जंतर मंतर, दिल्ली]] में की गयी थी।
 
सन् २०११ में [[इंडिया अगेंस्ट करपशन]] नामक संगठन ने [[अन्ना हजारे]] के नेतृत्व में हुए [[जन लोकपाल आंदोलन]] के दौरान भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा जनहित की उपेक्षा के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी उद्देश्य के तहत पार्टी पहली बार दिसम्बर २०१३ में [[दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव, 2013|दिल्ली विधानसभा चुनाव]] में झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरी।
 
पार्टी ने चुनाव में २८ सीटों पर जीत दर्ज की और [[कांग्रेस]] के समर्थन से दिल्ली में [[सरकार]] बनायी। अरविन्द केजरीवाल ने [[२८ दिसम्बर]] २०१३ को दिल्ली के ७वें मुख्य मन्त्री पद की शपथ ली। ४९ दिनों के बाद १४ फ़रवरी २०१४ को विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण अरविंद केजरीवाल की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया।
 
== इतिहास ==
आम आदमी पार्टी की उत्पत्ति सन् २०११ में ''इण्डिया अगेंस्ट करप्शन'' द्वारा अन्ना हजारे के नेतृत्व में चलाये गये जन लोकपाल आन्दोलन के समापन के दौरान हुई। [[जन लोकपाल]] बनाने के प्रति भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण राजनीतिक विकल्प की तलाश की जाने लगी थी। अन्ना हजारे भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आन्दोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे जबकि अरविन्द केजरीवाल आन्दोलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये एक अलग पार्टी बनाकर चुनाव में शामिल होने के पक्षधर थे। उनके विचार से वार्ता के जरिये जन लोकपाल विधेयक बनवाने की कोशिशें व्यर्थ जा रहीं थीं। ''इण्डिया अगेंस्ट करप्शन'' द्वारा सामाजिक जुड़ाव सेवाओं पर किये गये सर्वे में राजनीति में शामिल होने के विचार को व्यापक समर्थन मिला।
 
१९ सितम्बर २०१२ को अन्ना और अरविन्द इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि उनके राजनीति में शामिल होने सम्बन्धी मतभेदों का दूर होना मुश्किल है। इसलिये उन्होंने समान लक्ष्यों के बावजूद अपना रास्ता अलग करने का निश्चय किया। जन लोकपाल आन्दोलन से जुड़े [[मनीष सिसोदिया]], [[प्रशांत भूषण]] व [[योगेन्द्र यादव]] आदि ने अरविन्द केजरीवाल का साथ दिया, जबकि [[किरण वेदी]] व [[सन्तोष हेगड़े]] आदि कुछ अन्य लोगों ने हजारे से सहमति प्रकट की। केजरीवाल ने २ अक्टूबर २०१२ को राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की। इस प्रकार भारतीय संविधान की वर्षगांठ के दिन २६ नवम्वर (२०१२) को औपचारिक रूप से आम आदमी पार्टी का गठन हुआ।<ref>{{Citation|title='आम आदमी पार्टी' के राष्ट्रीय संयोजक बने केजरीवाल|url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/17365222.cms|publisher=नवभारत टाइम्स|date=२६ नवम्बर २०१२|accessdate=११ दिसम्बर २०१३}}</ref>
<ref>[http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/11/121126_india_kejriwal_aap_party_arm.shtml बीबीसी हिंदी - केजरीवाल ने लांच की आम आदमी पार्टी] </ref>
 
== विचारधारा ==
पार्टी कहती है कि वह किसी विशेष विचारधारा द्वारा निर्देशित नहीं हैं। उन्होंने व्यवस्था को बदलने के लिये राजनीति में प्रवेश किया है। अरविन्द केजरीवाल के शब्दों में - "हम आम आदमी हैं। अगर वामपंथी विचारधारा में हमारे समाधान मिल जायें तो हम वहाँ से विचार उधार ले लेंगे और अगर दक्षिणपंथी विचारधारा में हमारे समाधान मिल जायें तो हम वहाँ से भी विचार उधार लेने में खुश हैं।
 
== आलोचना ==
 
2014 में प्रशान्त भूषण ने [[कश्मीर]] की आन्तरिक सुरक्षा और सेना की मौजूदगी के मामले में कश्मीर के लोगों में जनमत संग्रह कराने की बात कही, जिसके विरोध में हिन्दू रक्षा दल के कुछ लोगों ने कौशाम्बी स्थित पार्टी मुख्यालय में आम आदमी पार्टी के खिलाफ नारेबाजी और तोड़-फोड़ की।<ref>{{cite news|url=http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-Aam-Aadmi-Party-office-Ghaziabad-Kaushambhi-stones-AAP-office-attack-Prashant-Bhushan-Kashmir-remarks-39-39-391185.html|title= कौशाम्बी में आम आदमी पार्टी के दफ्तर पर हुआ हमला |publisher=लाइव हिन्दुस्तान|quote=आप के प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि कुछ युवा जो हिन्दू रक्षा दल के बताये जाते है, पार्टी कार्यालय के बाहर जमा हो गये और आप के खिलाफ नारे लगाने लगे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने पार्टी कार्यालय के बाहर रखे गमले भी तोड़ डाले। |date=8 जनवरी 2014|accesdate=10 जनवरी 2014}}</ref>
 
== चुनावी भागीदारी ==
=== दिल्ली विधानसभा चुनाव (२०१३)===
{{मुख्य|दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव, २०१३}}
४ दिसम्बर २०१३ को हुए [[दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव, 2013|दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव]] में पार्टी ने पहला चुनाव लड़ा। उसने पूरी दिल्ली के लिये चुनावी घोषणापत्र तैयार करने के साथ ही प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिये अलग-अलग [[घोषणापत्र]] तैयार किया।<ref>{{cite news|title=आम आदमी पार्टी 71 घोषणापत्र बनाएगी|url=http://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-10743276.html|publisher=जागरण|date=22 सितम्बर 2013|accesdate=१७ नवम्बर २०१३}}</ref>
 
दिल्ली चुनाव के पहले पार्टी को कई विवादों का सामना करना पड़ा। भारत सरकार के गृहमन्त्री, [[सुशील कुमार शिंदे]] ने पार्टी के विदेशी दान की जाँच कराने की बात कही। पार्टी ने दान राशि का सम्पूर्ण ब्यौरा पार्टी वेवसाइट पर पहले से ही सार्वजनिक होने की बात कही और अन्य राजनीतिक दलों को भी अपने चन्दे को सार्वजनिक करने की चुनौती दी।
 
दिल्ली विधान सभा चुनाव के कुछ पहले एक मीडिया पोर्टल द्वारा आम आदमी के विधायक पद के उम्मीदवारों का स्टिंग ऑपरेशन सामने आया जिसमें उन पर ग़ैर-ईमानदार होने के आरोप लगाये गये। आम आदमी पार्टी ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर स्टिंग वीडियो में कई महत्वपूर्ण भागों को काट-छाँट कर प्रस्तुत करने का आरोप लगाया और मीडिया पोर्टल के खिलाफ मानहानि की याचिका दायर की।
 
६ दिसम्बर को घोषित हुए परिणाम में ७० सदस्यीय [[दिल्ली विधानसभा]] में पार्टी २८ सीटों पर विजयी रही। ३२ विधान सभा क्षेत्रों की विजेता [[भारतीय जनता पार्टी]] के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। अरविन्द केजरीवाल ने सत्तारूढ़ी कांग्रेस पार्टी की निवर्तमान मुख्यमन्त्री [[शीला दीक्षित]] (कांग्रेस) को लगभग 25,000 वोटों से पराजित किया।<ref>[http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-arvind-kejriwal-sheila-dikshit-election-39-39-382727.html]</ref> और कांग्रेस केवल ८ सीटों पर सिमट गयी।<ref>{{cite news||url=http://zeenews.india.com/hindi/blog/this-is-not-aap-victory-but-common-mans-victory_112.html |title='आप' की नहीं, आम आदमी की जीत|publisher=ज़ी न्यूज़|date=८ दिसम्बर २०१३|accesdate=११ दिसम्बर २०१३}}</ref><ref>[http://www.business-standard.com/article/politics/delhi-polls-bjp-ahead-aap-inches-to-second-113120800100_1.html Delhi polls | BJP ahead, AAP inches to second]</ref><ref> http://eciresults.nic.in/PartyWiseResult.htm</ref>
 
दिल्ली के उपराज्यपाल [[नजीब जंग]] ने भाजपा द्वारा सरकार बनाने से मना करने के बाद आम आदमी पार्टी विधायक दल के नेता अरविन्द केजरीवाल को सरकार बनाने के लिये आमन्त्रित किया। २८ दिसम्बर को कांग्रेस के समर्थन से पार्टी ने दिल्ली में अपनी सरकार बनायी। अरविन्द केजरीवाल सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।<ref>{{cite web |url=http://www.financialexpress.com/news/arvind-kejriwal-as-delhi-chief-minister-to-head-youngestever-cabinet-check-them-out/1211515 |title= Arvind Kejriwal, as Delhi Chief Minister, to head 'youngest-ever' Cabinet; check them out|trans_title=दिल्ली के मुख्य मन्त्री अरविन्द केजरीवाल ने अब तक के सबसे युवा मन्त्रिमण्डल का नेतृत्व सम्हालेंगे |date=25 दिसम्बर 2013 |website = The Financial Express|accessdate = 8 जनवरी 2014}}</ref>
 
=== लोकसभा चुनाव २०१४ ===
पार्टी ने कहा था कि 2014 भारतीय आम चुनाव में 300 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है। 432 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर चुकी पार्टी<ref> {{cite web |url=http://loksabha-elections2014.jagran.com/loksabha-election2014/election-news-first-of-all-aap-select-candidate-EL11223441 |title=प्रत्याशी उतारने में सबसे आगे आप |date= 10 Apr 2014}} </ref> की नज़र मुख्यतः [[हरियाणा]], [[गुजरात]], [[उत्तर प्रदेश]] सहित शहरी क्षेत्रों में थी, जहाँ पार्टी का समर्थन मुख्य रूप से आधारित है<ref> {{cite web |url=http://www.jagran.com/news/national-aap-fight-in-300-loksabha-seats-10973150.html |title=300 सीटों पर चुनाव लड़ेगी आप, हरियाणा पर गड़ाई नजरें |date= 31 दिसम्बर 2013}} </ref>
 
आशा के विपरीत पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा तथा पार्टी के सभी प्रमुख नेता चुनाव हार गए। लेकिन एक सुखद आश्चर्य के रूप में पार्टी ने पंजाब में चार सीटों- [[पटियाला लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र|पटियाला]], [[संगरूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र|संगरूर]], [[फरीदकोट लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र|फरीदकोट]] तथा [[फतेहगढ़ साहिब लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र| फतेहगढ़ साहिब]] में विजय प्राप्त की।<ref name="eciresults">http://eciresults.nic.in/statewiseS19.htm?st=S19</ref><ref>http://hindi.economictimes.indiatimes.com/lok-sabha-elections-2014/lok-sabha-2014/election-results-2014/election2014articleshow/35250235.cms</ref>
 
== दिल्ली सरकार ==
दिल्ली के उपराज्यपाल [[नजीब जंग]] के आमंत्रण पर दिल्ली के मतदाताओं से राय लेकर २८ दिसम्बर २०१३ को अरविंद केजरीवाल ने ७ मंत्रियों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।<ref>{{cite web |url=http://www.financialexpress.com/news/arvind-kejriwal-as-delhi-chief-minister-to-head-youngestever-cabinet-check-them-out/1211515 |title= Arvind Kejriwal, as Delhi Chief Minister, to head 'youngest-ever' Cabinet; check them out|trans_title=दिल्ली के मुख्य मन्त्री अरविन्द केजरीवाल ने अब तक के सबसे युवा मन्त्रिमण्डल का नेतृत्व सम्हालेंगे |date=25 दिसम्बर 2013 |website = The Financial Express|accessdate = 8 जनवरी 2014}}</ref> विश्वास मत प्रस्ताव पर कांग्रेस ने इस सरकार का समर्थन किया। सरकार बनाते ही पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र के वादे पूरे करने शुरु किए। विशेष सुरक्षा और लाल बत्ती वाली गाड़ी लेने से मना किया। ३१ दिसम्बर को बिजली की कीमतों में अप्रैल तक आधे की छूट देने की घोषणा की। बिजली कंपनियों का सीएजी ऑडिट कराने की व्यवस्था की। बीस किलोलीटर पानी मुप्त देने की घोषणा की।
इस सरकार को [[केंद्र सरकार]] और [[दिल्ली पुलिस]] से अनेक मामलों पर अवरोध का सामना करना पड़ा। बलात्कार एवं अन्य अपराध की घटनाओं पर पुलिस के कुछ अधिकारियों का तबादला करने के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय जाकर धरना देने की कोशिश की। इसमें अड़चने डालने पर [[रेल भवन]] के पास सड़क से ही केजरीवाल सरकार धरने पर बैठ गई। बाद में [[उपराज्यपाल]] के द्वारा पुलिस अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने के बाद सरकार वापस काम पर लौटी।
खिड़की एक्सटेंसन में कानून मंत्री [[सोमनाथ भारती]] की भूमिका भी विवादित रही। फरवरी में अरविन्द केजरीवाल ने अपने निगरानी विभाग को प्राकृतिक गैस का दाम अनियमित रूप से बढ़ाने के लिए [[मुकेश अंबानी]] और [[एम॰ वीरप्पा मोइली]] सहित कई प्रभावी लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया।<ref>{{cite news | url = http://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/arvind-kejriwal-quits-over-jan-lokpal/article5688528.ece | title = Arvind Kejriwal quits over Jan Lokpal | author = मुहम्मद अली, विशाल कान्त, अशोक स्वोमिया | newspaper = द हिन्दू | date = 2014-02-15 }}</ref>
केजरीवाल सरकार ने १३ फ़रवरी से विधान सभा सत्र बुलाकर जनलोकपाल और स्वराज्य विधेयक पारित करने की घोषणा की। जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने को लेकर उनका [[गृह मंत्रालय, भारत सरकार|गृह मंत्रालय]] और उपराज्यपाल से टकराव की स्थिति पैदा हो गई। लेफ्टिनेंट राज्यपाल [[नजीब जंग]] इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी को जरूरी बताते रहे जबकि केजरीवाल सरकार विधान सभा के विधेयक पास करने के संवैधानिक अधिकार पर डटी रही। १३ जनवरी के हंगामेदार सत्र के बाद १४ फ़रवरी के सत्र में राज्यपाल ने विधेयक को असंवैधानिक बताने का संदेश विधानसभा अध्यक्ष को भेजा और विधेयक पेश करने से पहले िस संदेश को सूचित करने को लिखा। इस संदेश के बाद कांग्रेस औ्रर भाजपा विधायकों ने विधेयक प्रस्तुत करने का मिलकर विरोध किया। जन लोकपाल पास करना तो दूर उसे प्रस्तुत भी न हो पाने के बाद [[अरविन्द केजरीवाल]] ने १४ फ़रवरी को अपनी सरकार से इस्तीफा दे दिया। इस कारण दिल्ली में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा।<ref>{{cite news|url=http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/02/140215_delhi_president_rule_aa.shtml |title= दिल्ली में राष्ट्रपति शासन |publisher=बीबीसी हिन्दी |date=14 फ़रवरी 2014 |accessdate=}}</ref>
 
== उल्लेखनीय कार्य ==
आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आते ही अपने सबसे बड़े वादों को निभाते हुए भ्रष्टाचार पर पर लगाम लगाई. दिल्ली में सभी विभागों से भ्रष्टाचार लगभग 80 फीसदी तक कम हुआ. 50 भ्रष्ट अधिकारी जेल भेजे गए. बिजली के दाम 50 फीसदी घटाए गए जबकि पानी 20,000 लीटर तक मुफ्त किया गया. प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट कोटा ख़त्म किया. सभी सरकारी अस्पतालों में सभी दवाई मुफ्त. तीन पुलों में 350 करोड़ बचाए। २०१६ के अगस्त में पक्षाध्यक्ष श्रीकेजरीवाल ने पोर्न-काण्ड में फसे मन्त्री सन्दीप कुमार को मन्त्रिपद से हटाया। सन्दीप कुमार पर आरोप था कि वो पोर्न के क्षेत्र में सक्रिय थे। अतः उनको ३०/८/२०१६ को मन्त्रिपद से हटाया गया <ref>http://www.indiatimes.com/news/india/pornhub-takes-the-biggest-dig-at-ex-aap-minister-sacked-by-arvind-kejriwal-over-sex-scandal-260935.html</ref> <ref>http://indiatoday.intoday.in/video/arvind-kejriwal-aap-child-welfare-minister-sandeep-kumar-sex-cd/1/753738.html</ref>।
==विवाद एवं आलोचना ==
 
दिल्ली के दो आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों , दिल्ली के कर्नल देविंदर सहारवत और असिम अहमद ने ,राजधानी में केजरीवाल सरकार पर खराब प्रशासन का आरोप लगाया और पार्टी के बड़े दावे में फसने से बचने की पंजाब के लोगों को चेतावनी दी।<ref>https://timesofindia.indiatimes.com/city/chandigarh/kejri-govt-failed-people-delhi-aap-mlas/articleshow/56962682.cms</ref>
 
सार्वजनिक परिवहन में सुधार: आम आदमी पार्टी (आप) ने सार्वजनिक परिवहन में काफी सुधार करने का वादा किया था लेकिन केजरीवाल का वितरण डीटीसी के मौजूदा बेड़े में एक भी बस नहीं जोड़ सकी। अंतिम मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के वादे को पूरा करने की कोई प्रगति नहीं हुई थी
सार्वजनिक क्षेत्रों में वाई-फाई: यह एक ऐसा वादा था जो दिल्ली के लोगों को सबसे अधिक आकर्षित कर रहा था। "हम दिल्ली में पूरी तरह से वाई-फाई उपलब्ध कराएंगे ... वाई-फाई दिल्ली के सार्वजनिक क्षेत्रों में उपलब्ध कराई जाएगी। इंटरनेट और दूरसंचार कंपनियों से संपर्क किया गया है और उनके साथ परामर्श करके एक उच्च स्तरीय व्यवहार्यता अध्ययन किया गया है। " लेकिन दो साल बाद भी, राष्ट्रीय राजधानी अब भी नि: शुल्क वाई-फाई सेवाओं का इंतजार कर रही है।
दिल्ली भर में 10-15 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए गए: यह एक और वादा था, जो आम आदमी पार्टी पूरी करने में नाकाम रही। एएपी के दिल्ली इकाई के संयोजक दिलीप पांडे ने कहा था, राष्ट्रीय राजधानी विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी प्राप्त करेगी, लेकिन दिल्लीवासियों को अभी भी इसके कार्यान्वयन के लिए इंतजार कर रहा है।<ref>http://www.india.com/news/india/aap-turns-two-here-are-the-failures-and-achievements-of-delhi-govt-under-arvind-kejriwal-1837638/</ref>
 
== इन्हें भी देखें==
* [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
* [[भ्रष्टाचार (आचरण)]]
 
== सन्दर्भ ==
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== बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.aamaadmiparty.org/ '''आम आदमी पार्टी (आप)''' का जालस्थल]
*[https://docs.google.com/folder/d/0B29Q9fS9zb3jc2MtdmpKNlI2clk/edit?usp=sharing आम आदमी पार्टी का संविधान] (हिन्दी में)
 
[[श्रेणी:भारत के राजनीतिक दल]]
[[श्रेणी:२०१२ में स्थापित राजनीतिक दल]]
[[श्रेणी:आम आदमी पार्टी]]
 
{{आम आदमी पार्टी}}