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:::{{सुनो|हिंदुस्थान वासी}} आपने यह सही नहीं किया। आपको इतनी जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिये थी। {{सुनो|Jayprakash12345}} आपको दूसरे प्रबन्धक पर ऐसे आरोप नहीं लगाना चाहिये। सामान्यतः प्रबन्धकों के कार्य स्वतंत्र होते हैं और कहीं उलझन होने पर आपसी चर्चा करके निर्णय लिया जाता है। लेकिन यदि प्रबन्धक चर्चा करते हैं तो ऐसा जल्दबाज़ी का फैसला सामने नहीं आयेगा। क्या आपको लगता है कि ये कार्य सभी प्रबन्धकों ने मिलकर किया है?<span style="color:green;">☆★</span>[[u:संजीव कुमार|<u><span style="color:Magenta;">संजीव कुमार</span></u>]] ([[User talk:संजीव कुमार|<span style="color:blue;">✉✉</span>]]) 03:15, 26 मार्च 2018 (UTC)
::[[u:संजीव कुमार|संजीव कुमार]] जी, जिस प्रबन्धक ने यह कार्य किया था उसके कार्यो पर तो पर्दा डालने आ गए थे। कार्य को इतनी सफाई किया गया हैं कि मुझे पूरा विश्वास हैं कि मूल विवाद के बारे में अभी आपको कुछ दिखा भी नहीं होगा।--<span style="background:#444;padding:2px;font-size:12px">[[User:Jayprakash12345|<span style="color:#fff">जयप्रकाश</span>]]<span style="color:#FC0;letter-spacing:-2px"> >>> </span>[[User talk:Jayprakash12345|<span style="color:#fff">वार्ता</span>]]</span> 04:10, 26 मार्च 2018 (UTC)
 
== आपके आरोप ==
 
जयप्रकाश जी, आपने हिन्दुस्थान वासी जी के वार्ता पन्ने और चौपाल दोनों पर मुझ पर आरोप लगाए हैं। क्या लगता है आपको कि आपलोगों की सरपट प्रत्यावर्तन दौड़ देखने के बाद क्या करना चाहिए था मुझे? तीन विकल्प समझ में आये थे - 1) हिन्दुस्थान वासी जी को रुकने के लिए कहूँ, 2) आपको रुकने के लिए कहूँ, या 3) देख के छवि प्रबंधकों की तरह आँख मूँद लूँ। आपको क्या लगता है दूसरा या तीसरा विकल्प चुनना ज़्यादा बेहतर होता? --[[User:SM7|<span style="color:#00A300">SM7</span>]]<sup>[[User talk:SM7|<small style="color:#6F00FF">--बातचीत--</small>]]</sup> 11:53, 26 मार्च 2018 (UTC)